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नयी दिल्ली, 16 जून (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि भारत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) सहित अन्य एजेंसियों के उत्कृष्ट कार्यों की वजह से आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बन गया है।
शाह ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के राहत आयुक्तों और आपदा मोचन बलों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि 10 साल पहले आपदा से निपटने वाले संगठनों का दृष्टिकोण हताहतों की संख्या कम से कम रखने का था और 10 साल बाद ऐसा लक्ष्य रहता है कि आपदा में कोई हताहत ही न हो।
उन्होंने कहा, ‘‘जब भी भारत की आपदा प्रतिक्रिया का इतिहास लिखा जाएगा, मोदी सरकार के पिछले 10 साल परिवर्तनकारी दशक के रूप में दर्ज किए जाएंगे। इन 10 वर्षों में हमने क्षमता, दक्षता, गति और सटीकता- चारों क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं।’’
गृह मंत्री ने कहा कि एनडीएमए ने नीति, विषय संरचना, अनुसंधान कार्य, जनता तक विभिन्न अभ्यासों का प्रसार, कई अनुप्रयोगों का विकास और समग्र समन्वय तथा नीति-संबंधी कार्य प्रभावी ढंग से किए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 10 वर्षों में एनडीएमए, एनडीआरएफ और सीडीआरआई (आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना गठबंधन) ने भारत को आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में वैश्विक नेता बनने के लिए मजबूती से स्थापित किया है।’’
शाह ने कहा कि पिछले दो वर्षों में राहत और आपदा प्रबंधन से जुड़ी सभी एजेंसियों की कार्यशालाओं और बैठकों को एक साथ लाकर समग्र सरकारी दृष्टिकोण के साथ विचारों का एक मंच बनाने का काम किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब सभी आपदा राहत दलों के प्रमुख एक ही मंच पर चर्चा करते हैं, तो कई कमियां दूर हो जाती हैं और देश को भी आपदा से निपटने के लिए तैयार रहने में लाभ होता है।’’
गृह मंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि हर साल आपदाओं के प्रति संवेदनशील कुछ जिलों और तहसीलों को इस सम्मेलन में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि राष्ट्रीय स्तर पर जिस आपदा प्रबंधन की योजना रहती है, वह धीरे-धीरे तहसील और जिला स्तर तक भी पहुंचे।
उन्होंने कहा कि सभी राहत आयुक्त 90 दिनों के भीतर अपने राज्य के प्रत्येक जिले के लिए जिला आपदा प्रबंधन योजना तैयार करें।
उन्होंने एनडीएमए की भूमिका की भी सराहना करते हुए कहा कि इसने नीति, विषय संरचना, शोध कार्य, विभिन्न अभ्यासों का जनता तक प्रसार, कई अनुप्रयोगों का विकास और समग्र समन्वय तथा नीति-संबंधी कार्य को प्रभावी ढंग से किया है।
शाह ने कहा कि एनडीआरएफ ने देश भर में पहचान बनाई और पुख्ता प्रतिष्ठा और सम्मान अर्जित किया है, जबकि राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) ने भी इस प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापमान के कारण पूरी दुनिया आपदाओं से जूझ रही है और पर्यावरण संरक्षण को मुख्य घटक के रूप में आगे बढ़ाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘आने वाले दिनों में जब हर कोई आपदाओं से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है, लेकिन आपदाओं के मूल कारणों को संबोधित करने की भी आवश्यकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आपदाओं से निपटने की हमारी क्षमता न केवल बढ़ाई गई है, बल्कि इसे तहसील स्तर तक बढ़ाया और विस्तारित किया गया है। गति पर ध्यान दिया गया है, क्योंकि आपदा के दौरान जान बचाना सबसे महत्वपूर्ण है।’’
गृह मंत्री ने कहा कि अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग और आपदा प्रतिक्रिया बलों के समर्पित दृष्टिकोण के माध्यम से दक्षता में सुधार हुआ है।
उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त, सटीक पूर्वानुमान और प्रारंभिक चेतावनी प्रदान करके समाज को जागरूक किया गया और इसे राहत तथा बचाव कार्यों में सफलतापूर्वक शामिल किया गया है।
शाह ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान आपदा प्रबंधन से संबंधित दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण बदलाव आया है।
उन्होंने कहा कि पहले दृष्टिकोण राहत-केन्द्रित था, लेकिन अब ‘शून्य हताहत’ का लक्ष्य सफलतापूर्वक प्राप्त कर लिया गया है।
शाह ने कहा कि 2004 से 2014 तक एसडीआरएफ का बजट 38,000 करोड़ रुपये था, जो 2014 से 2024 तक बढ़कर 1.44 लाख करोड़ रुपये हो गया।
इसी तरह एनडीआरएफ का बजट 2004 से 2014 तक 28,000 करोड़ रुपये था, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बढ़ाकर 84,000 करोड़ रुपये कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘कुल मिलाकर हमने कुल बजट को 66,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर लगभग तीन गुना कर दिया है जो दो लाख करोड़ रुपये के बराबर है।’’
भाषा संतोष सुरेश
सुरेश