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नयी दिल्ली, 16 जून (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को देश की आपदा प्रबंधन एजेंसियों की गति और सटीकता में सुधार के लिए तीन प्रमुख तकनीकी मंच की शुरुआत की।
गृह मंत्री ने राहत आयुक्तों, आपदा प्रबंधन सचिवों और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बलों के दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन में आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए एकीकृत नियंत्रण कक्ष (आईसीआर-ईआर), आपातकालीन प्रबंधन लाइट 2.0 के लिए राष्ट्रीय डेटाबेस (एनडीईएम लाइट 2.0) और असम के बाढ़ खतरा क्षेत्र एटलस की शुरुआत की।
‘एक्स’ पर एक पोस्ट में शाह ने कहा कि तीन मंच हमारे आपदा प्रबंधन तंत्र को नए युग की विभिन्न तकनीक की गति और सटीकता से लैस करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘आईसीआर-ईआर बचाव एजेंसियों को उपग्रह आधारित डेटा का उपयोग करके देश भर में आपदाओं के लिए वास्तविक समय पर प्रतिक्रिया देगा, और एनडीईएम लाइट 2.0 हमारे प्रतिक्रिया बलों को एक इकाई के रूप में किसी भी आपदा का सामना करने की चपलता प्रदान करेगा।’’
शाह ने कहा कि असम का एटलस बाढ़ नियंत्रण अधिकारियों को बाढ़, उसके प्रभाव और नदियों में जल स्तर से संबंधित वास्तविक समय के आंकड़े उपलब्ध कराकर बाढ़ शमन के लक्ष्य को प्राप्त करने में मार्गदर्शन करेगा।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि गृह मंत्री द्वारा शुरू किया गया असम का बाढ़ खतरा क्षेत्र एटलस राज्य में बाढ़ के पैटर्न का उपग्रह-आधारित विश्लेषण, बाढ़ के मैदानों में विकास को विनियमित करने, बाढ़ प्रतिरोधी कृषि को बढ़ावा देने, फसल बीमा योजनाओं का समर्थन करने और आपदा प्रबंधन योजना तैयार करने में मदद करेगा।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापमन के कारण पूरी दुनिया आपदाओं से जूझ रही है और पर्यावरण संरक्षण को मुख्य घटक के रूप में लेकर आगे बढ़ने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘आने वाले दिनों में जबकि हर कोई आपदाओं से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है, आपदाओं के मूल कारणों को संबोधित करने की भी जरूरत है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘न केवल आपदाओं से निपटने की हमारी क्षमता में वृद्धि हुई है, बल्कि इसे तहसील स्तर तक बढ़ाया और विस्तारित किया गया है। गति पर ध्यान दिया गया है, क्योंकि आपदा के दौरान जान बचाना सबसे महत्वपूर्ण है।’’
गृह मंत्री ने कहा कि अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल और आपदा प्रतिक्रिया बलों के समर्पित दृष्टिकोण के जरिए दक्षता में सुधार हुआ है।
भाषा संतोष माधव
माधव