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Tuesday, June 17, 2025

दिल्ली: करंट लगने से जान गंवाने वाले किशोरों ने परिवार के भरण-पोषण के लिए अपने संघर्ष छिपाए

Newsदिल्ली: करंट लगने से जान गंवाने वाले किशोरों ने परिवार के भरण-पोषण के लिए अपने संघर्ष छिपाए

नयी दिल्ली, 16 जून (भाषा) दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के आरके पुरम इलाके में करंट लगने से जान गंवाने वाले दो किशोरों में से एक भरत के भाई ने बताया कि उनका भाई परिवार की मदद करने के लिए अपनी पूरी कमाई मां की दवाओं पर खर्च कर देता था और खुद के लिए जेब खर्च के तौर पर बहुत कम रकम रखता था।

रविवार तड़के तेज बारिश और आंधी के कारण बिजली की तारें टूटकर गिर गए, जिससे फुटपाथ पर सो रहे भरत (16) और अरविंद (17) की करंट लगने से मौत हो गई थी। दोनों सड़क किनारे स्थित एक भोजनालय में काम करते थे।

दोनों बेहतर जीवन की तलाश में बिहार के मधुबनी से दिल्ली आये थे।

दोनों किशोरों के परिवार वालों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि वे किन परिस्थितियों में रह रहे थे।

भरत और अरविंद के परिवारों को लगता था कि वे किसी होटल में काम कर रहे हैं और उनके रहने के लिए उचित व्यवस्था उपलब्ध है।

भरत के भाई राम ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उन्हें इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि उनका भाई इतनी कठिनाइयों का सामना कर रहा है और सड़क किनारे सो रहा है।

राम ने कहा, ‘उसने हमें बताया था कि वह एक होटल में काम करता है और उसके पास सभी सुविधाएं हैं। लेकिन अब हमें पता चला है कि वह सड़क किनारे स्थित एक भोजनालय पर काम कर रहा था।’

उन्होंने बताया कि भरत दो साल पहले बेगूसराय से दिल्ली आया था और 7,000 रुपये प्रति माह कमा रहा था।

उन्होंने कहा, ‘मेरा भाई जेब खर्च के तौर पर बहुत कम रकम रखता था। वह अपनी कमाई का अधिकांश हिस्सा हमारी मां लक्ष्मी के लिए दवाइयां खरीदने में खर्च कर देता था, जो दिल्ली में नौकरानी के रूप में काम करती हैं।’

राम ने कहा, ‘हमें अभी भी समझ में नहीं आ रहा है कि वह अपनी परेशानियों के बारे में झूठ क्यों बोलता रहा। वह सिर्फ परिवार की आर्थिक मदद करना चाहता था। हम दिल्ली में ही उसका अंतिम संस्कार करने पर विचार कर रहे हैं।’

उन्होंने उम्मीद जताई कि दिल्ली सरकार परिवार को आर्थिक मदद मुहैया कराएगी।

दूसरे किशोर अरविंद के चचेरे भाई प्रेम कुमार ने बताया कि अरविंद बहुत कम उम्र में ही परिवार की जिम्मेदारी उठाने दिल्ली आ गया था।

प्रेम ने बताया, ‘उसने ने भी हमें यही बताया था कि वह होटल में काम करता है और वहीं रहता है। हमें लगा कि उसने अन्य कर्मचारियों के साथ वहां एक कमरा ले रखा है। उसी दिन (हादसे वाले दिन) मेरी उससे बात हुई थी। कह रहा था कि वह ठीक है और जल्द पैसे भेजेगा।’

भाषा योगेश माधव

माधव

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