निकोसिया, 16 जून (भाषा) साइप्रस ने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को सोमवार को ‘अटूट समर्थन’ दिया तथा दोनों देशों ने अंतरराष्ट्रीय और सीमा पार आतंकवाद सहित सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ की ‘स्पष्ट रूप से’ निंदा की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस के बीच व्यापक वार्ता के बाद जारी संयुक्त घोषणापत्र में कहा गया कि दोनों पक्षों ने ‘शांति और स्थिरता को कमजोर करने वाले हाइब्रिड खतरों का मुकाबला करने के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की।’
घोषणापत्र में कहा गया, ‘साइप्रस ने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के प्रति एकजुटता और अटूट समर्थन व्यक्त किया। दोनों नेताओं ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल में हुए जघन्य आतंकवादी हमलों में नागरिकों की नृशंस हत्या की कड़ी निंदा की।’
इसमें कहा गया, ‘उन्होंने आतंकवाद के प्रति अपनी शून्य-सहिष्णुता की नीति दोहराई तथा किसी भी परिस्थिति में ऐसे कृत्यों के लिए किसी भी कारण को अस्वीकार किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।’
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में आतंकवादियों ने 26 लोगों की हत्या कर दी थी।
संयुक्त घोषणापत्र में कहा गया, ‘साइप्रस और भारत ने अंतरराष्ट्रीय और सीमापार आतंकवाद सहित सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ की स्पष्ट रूप से निंदा की, तथा शांति और स्थिरता को कमजोर करने वाले हाइब्रिड खतरों का मुकाबला करने के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की।’
इसमें कहा गया कि दोनों नेताओं ने सभी देशों से अन्य देशों की संप्रभुता का सम्मान करने का आग्रह किया तथा सभी प्रकार के सीमापार आतंकवाद की निंदा की।
घोषणा पत्र के मुताबिक, ‘उन्होंने आतंकवाद के वित्तपोषण नेटवर्क को ध्वस्त करने, सुरक्षित ठिकानों को नष्ट करने, आतंकवादी ढांचे को नष्ट करने और आतंकवाद के अपराधियों को शीघ्र न्याय के कटघरे में लाने का आह्वान किया।’
घोषणापत्र में कहा गया कि सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिए एक व्यापक, समन्वित और सतत दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल देते हुए दोनों नेताओं ने सहयोगात्मक, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय प्रणाली के साथ मिलकर काम करने के महत्व को रेखांकित किया।
मोदी तीन देशों की अपनी यात्रा के पहले चरण में रविवार को साइप्रस पहुंचे।
भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाए जाने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा है। इस अभियान के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में सात मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी ढांचे पर हमले किए थे।
घोषणापत्र में कहा गया, ‘दोनों नेताओं ने आतंकवाद से निपटने के लिए बहुपक्षीय प्रयासों को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की तथा संयुक्त राष्ट्र के ढांचे के भीतर अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक संधि को शीघ्र अंतिम रूप देने और अपनाने का आह्वान किया।’
इसमें कहा गया है कि उन्होंने सभी संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ द्वारा घोषित आतंकवादियों और आतंकवादी संस्थाओं, संबद्ध छद्म समूहों, मददगारों और प्रायोजकों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने का आग्रह किया जिनमे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की 1267 प्रतिबंध समिति के तहत घोषित आतंकवादी भी शामिल है।
इसमें कहा गया कि उन्होंने आतंकवादी वित्तपोषण माध्यमों को बाधित करने के लिए सक्रिय कदम उठाने की अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई जिसमें संयुक्त राष्ट्र और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) का इस्तेमाल भी शामिल है।
दोनों नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा परिवेश में उभरती चुनौतियों के मद्देनजर रणनीतिक स्वायत्तता, रक्षा तत्परता और रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के महत्व पर बल दिया।
इसमें कहा गया है, ‘‘वे अपने रक्षा और सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करने पर सहमत हुए, जिसमें साइबर सुरक्षा और उभरती प्रौद्योगिकियों पर विशेष ध्यान देते हुए रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग भी शामिल है।’
संयुक्त घोषणा में कहा गया है कि साइप्रस और भारत ने ‘संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थित प्रयासों को पुनः आरंभ करने के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता व्यक्त की है, ताकि साइप्रस समस्या का व्यापक और स्थायी समाधान राजनीतिक समानता के साथ द्वि-क्षेत्रीय, द्वि-सामुदायिक संघ के आधार पर किया जा सके, जो संयुक्त राष्ट्र की सहमति वाले ढांचे और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों के अनुरूप हो।’
इसके मुताबिक, ‘भारत ने साइप्रस गणराज्य की स्वतंत्रता, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और एकता के लिए अपने अटूट और निरंतर समर्थन को दोहराया। इस संबंध में, दोनों पक्षों ने सार्थक वार्ता की बहाली के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के वास्ते एकतरफा कार्रवाई से बचने की आवश्यकता पर जोर दिया।’
बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने समुद्री क्षेत्र को शामिल करते हुए सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा की तथा आपातकालीन तैयारियों और समन्वित संकट प्रतिक्रिया में सहयोग को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की।
पिछले सफल प्रयासों को ध्यान में रखते हुए, नेताओं ने निकासी और खोज एवं बचाव (एसएआर) कार्यों में समन्वय को संस्थागत बनाने पर सहमति व्यक्त की।
बीते दो दशक में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली साइप्रस यात्रा है। बयान में कहा गया है कि उनकी यात्रा एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है और दोनों देशों के बीच गहरी और स्थायी मित्रता की पुष्टि करती है।
इस बात पर गौर करते हुए कि साइप्रस और भारत, क्षेत्रों के बीच सेतु के रूप में कार्य करने के रणनीतिक दृष्टिकोण को साझा करते हैं, दोनों नेताओं ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईईसी) के महत्व को एक परिवर्तनकारी, बहु-नोडल पहल के रूप में रेखांकित किया, जो शांति, आर्थिक एकीकरण और सतत विकास को बढ़ावा देता है।
बयान के मुताबिक, दोनों पक्षों ने इस वर्ष के अंत तक यूरोपीय संघ-भारत मुक्त व्यापार समझौते को संपन्न करने में सहयोग देने की इच्छा व्यक्त की।
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नोमान रंजन
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