आइजोल, 16 जून (भाषा) मिजोरम के चकमा स्वायत्त जिला परिषद (सीएडीसी) से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मोलिन कुमार चकमा को अविश्वास प्रस्ताव के तहत हटा दिए जाने के बाद पार्टी सोमवार को परिषद से बाहर हो गई।
परिषद में अब राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के पास सर्वाधिक सदस्य हैं और यह सीएडीसी की अगली कार्यकारी समिति बनाने का दावा पेश कर सकती है।
मोलिन कुमार चकमा के नेतृत्व में चार फरवरी को कार्य समिति गठित हुई थी और ये सीएडीसी में 1972 के बाद से पहली बार गठित भाजपा शासित समिति थी।
अधिकारी ने बताया कि सीएडीसी के अध्यक्ष लखन चकमा ने सदन का एक विशेष सत्र बुलाया था, जिसके दौरान वोट देने के बाद मोलिन कुमार चकमा की अध्यक्षता वाली भाजपा नीत कार्यकारी समिति को बाहर कर दिया गया।
जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के सदस्य दोयमॉय दावेंग चकमा द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पेश करते हुए दावा किया कि मोलिन ने अधिकतर सदस्यों का विश्वास खो दिया है।
अधिकारी ने बताया कि उपस्थित 17 निर्वाचित सदस्यों में से 15 ने चकमा को हटाने के पक्ष में मतदान किया, जबकि एक सदस्य ने उनके पक्ष में वोट किया। वहीं एमएनएफ के एकमात्र सदस्य रसिक मोहन चकमा ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
लखन चकमा सहित भाजपा के 12 सदस्य हाल ही में पार्टी छोड़कर जेडपीएम में शामिल हो गए।
इस 20 सदस्यीय परिषद में अब जेडपीएम के 16 सदस्य, भाजपा के दो और एमएनएफ का एक सदस्य है।
अप्रैल में भाजपा के एक सदस्य की मृत्यु हो जाने के बाद से एक सीट रिक्त है।
अधिकारी ने बताया कि जेडपीएम ने अभी तक सीएडीसी में अगली कार्यकारी समिति के गठन का दावा पेश नहीं किया है।
सीएडीसी का गठन मिजोरम के चकमा जनजातियों के कल्याण के लिए 1972 में संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत किया गया था।
परिषद में 20 निर्वाचित सदस्य और चार मनोनीत सदस्य हैं।
भाषा यासिर रंजन
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