नयी दिल्ली, 16 जून (भाषा) भोपाल स्थित आईसीएआर-राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान को विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन और खाद्य एवं कृषि संगठन ने श्रेणी-ए रिंडरपेस्ट होल्डिंग केंद्र के रूप में नामित किया है।
यह केंद्र एक खास तरह की अत्यधिक सुरक्षित प्रयोगशाला है जिसे वैश्विक स्तर पर रिंडरपेस्ट वायरस युक्त सामग्री को सुरक्षित रूप से संग्रहीत करने और प्रबंधित करने के लिए नामित किया गया है।
रिंडरपेस्ट को कभी ‘मवेशी प्लेग’ के रूप में जाना जाता था। इसे वर्ष 2011 में वैश्विक उन्मूलन से पहले पशुओं का विनाशकारी रोग माना जाता था।
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में कहा, ‘‘विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूओएएच) और संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की तरफ से आईसीएआर-राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भोपाल को श्रेणी-ए रिंडरपेस्ट होल्डिंग केंद्र (आरएचएफ) के रूप में मान्यता मिलने के साथ भारत ने वैश्विक पशु स्वास्थ्य और जैव सुरक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर हासिल किया है।’’
यह घोषणा पेरिस में आयोजित डब्ल्यूओएएच की 92वीं आमसभा के दौरान 29 मई 2025 को की गई थी।
पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सचिव और डब्ल्यूओएएच में भारत की प्रतिनिधि अलका उपाध्याय को डब्ल्यूओएएच के महानिदेशक और अध्यक्ष ने औपचारिक रूप से इसका प्रमाण पत्र प्रदान किया।
बयान के मुताबिक, यह मान्यता भारत को दुनिया भर में केवल छह नियंत्रण केंद्रों वाले एक प्रतिष्ठित समूह में शामिल करती है जिन्हें रिंडरपेस्ट वायरस सामग्री को सुरक्षित रखने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है।
इस बीमारी से वैश्विक मुक्ति को बनाए रखने के लिए एफएओ और डब्ल्यूओएएच ने आरवीसीएम के भंडारण को दुनिया भर में कुछ उच्च सुरक्षा प्रयोगशालाओं तक सीमित करने के लिए सख्त उपाय लागू किए हैं।
भाषा राजेश राजेश रमण प्रेम
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