मुंबई, 16 जून (भाषा) महाराष्ट्र के पालघर जिले के जोगलवाड़ी गांव के रहने वाले एक आदिवासी मज़दूर को अपनी मृत नवजात बेटी के शव को एक प्लास्टिक की थैली में लपेटकर राज्य परिवहन की बस से 90 किलोमीटर दूर अपने गांव ले जाना पड़ा।
आदिवासी मज़दूर का आरोप है कि नासिक सिविल अस्पताल ने शव ले जाने के लिए एम्बुलेंस देने से इनकार कर दिया।
कटकारी आदिवासी समुदाय से आने वाले सखरम कावर ने कहा, ‘मैंने अपनी बच्ची को स्वास्थ्य तंत्र की लापरवाही और बेरुखी के कारण खो दिया।’
सखरम और उनकी पत्नी अविता (26) दिहाड़ी पर मजदूरी करके गुजर बसर करते हैं और हाल ही तक बदलापुर (ठाणे) में एक ईंट भट्ठे पर काम कर रहे थे।
सखरम और उनकी पत्नी अविता सुरक्षित प्रसव के लिए अपने गांव लौटे थे। 11 जून को प्रसव पीड़ा शुरू होने पर सरकारी एम्बुलेंस नहीं आई और अंततः कई अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद, 12 जून की रात नासिक में बच्ची मृत जन्मी।
अगली सुबह अस्पताल ने शव सौंप दिया, लेकिन परिवहन की कोई व्यवस्था नहीं की।
सखरम ने कहा, ‘मैंने 20 रुपये में थैली खरीदी, बच्ची को कपड़े में लपेटा और बस से गांव लौटा।’
उन्होंने बताया कि 13 जून को जब वह पत्नी को घर लाने नासिक लौटे, तब भी एम्बुलेंस नहीं दी गई।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सखरम ने स्वयं एम्बुलेंस लेने से इनकार किया था और अस्पताल ने सभी जरूरी मदद दी।
भाषा योगेश रंजन
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