नयी दिल्ली, 17 जून (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने 2015 के डकैती के एक मामले में दो लोगों को सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई और कहा कि उनके साथ सख्ती बरती जाए ताकि एक नजीर पेश की जा सके।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हेमराज भारतीय दंड संहिता की धारा 394 (डकैती करते समय स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और धारा 398 (जानलेवा हथियार के साथ लूटपाट या डकैती की कोशिश) के तहत दोषी ठहराए गए आकाश और पीटर जोसेफ की सजा को लेकर दलीलें सुन रहे थे।
मामले में एक अन्य सह-आरोपी मोहम्मद याकूब को भारतीय दंड संहिता की धारा 394 के तहत दोषी ठहराया गया।
तीनों ने 2015 में तिलक नगर इलाके में एक कार्यालय में लूटपाट की थी।
अदालत ने 16 जून को दिए फैसले में कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष द्वारा दिए गए सबूतों से पता चलता है कि दोषी आकाश और पीटर जोसेफ क्रमश: चाकू और पिस्तौल लेकर कार्यालय में घुसे और उन्होंने अपने चेहरों को ढका हुआ था जबकि दोषी मोहम्मद याकूब कार्यालय के बाहर खड़ा होकर नजर रख रहा था और उन सभी ने डकैती की कोशिश की।’’
अदालत ने कहा कि हालांकि, दोषी कुछ भी कीमती सामान नहीं लूट पाए लेकिन यह साबित हो गया कि आकाश और जोसेफ ने अपराध को अंजाम देने के लिए एक चाकू तथा पिस्तौल का इस्तेमाल किया।
न्यायाधीश ने यह भी कहा कि दोषियों को कानून का कोई डर नहीं था क्योंकि उन्होंने एक व्यस्त इलाके में डकैती की कोशिश की।
आदेश में कहा गया है, ‘‘इतना ही नहीं, उन्होंने पिस्तौल और घातक हथियार यानी चाकू का भी इस्तेमाल किया, जो उनकी आपराधिक मानसिकता को दर्शाता है। अत: न्याय की मांग है कि दोषियों से सख्ती से निपटा जाए ताकि दूसरों के लिए एक नजीर पेश की जा सके।’’
आकाश और जोसेफ को सात साल की जबकि याकूब को पांच साल की जेल की सजा सुनायी गयी।
भाषा गोला नरेश
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