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Tuesday, June 17, 2025

संभल में जल संरक्षण की नई पहल: एक दिन में 5,000 खाइयों से होगा भूजल रिचार्ज

Fast Newsसंभल में जल संरक्षण की नई पहल: एक दिन में 5,000 खाइयों से होगा भूजल रिचार्ज

संभल (उत्तर प्रदेश), 17 जून (भाषा) रालेगांव सिद्धि और हिवरे बाजार के प्रसिद्ध जल संरक्षण मॉडल से प्रेरित होकर, उत्तर प्रदेश के संभल जिले के अधिकारियों ने भूजल को रिचार्ज करने और सिंचाई की जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से बड़े पैमाने पर वर्षा जल संचयन अभियान शुरू किया है।

जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया ने मंगलवार को कहा कि अभियान के पहले चरण में एक ही दिन में जिले के सभी आठ ब्लॉकों में 5,000 खाई खोदी जाएंगी।

ये खाई, जिनकी लंबाई 5 फुट, चौड़ाई 2 फुट और गहराई 1.6 फुट है, मौजूदा मानसून सीजन के दौरान 22.65 लाख लीटर वर्षा जल को रिचार्ज करने में मदद करेंगी।

पेंसिया ने कहा, ‘हम कई स्थानों पर सामुदायिक भागीदारी के साथ मनरेगा के तहत खाई खोदने का काम कर रहे हैं। प्रत्येक खाई मानसून के दौरान लगभग 453 लीटर भूजल रिचार्ज करने में सक्षम है। ये 5,000 खाई एक या दो दिन में पूरी हो जाएंगी। उसके बाद हम कुल रिचार्ज क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रयास करेंगे।’

जिले की पहली मॉडल साइट बहजोई ब्लॉक के अंतर्गत बेहटा जयसिंह गांव में मनरेगा पार्क में विकसित की गई है, जहां 900 से अधिक खाई खोदी जाएंगी।

जिला मजिस्ट्रेट ने कहा, ‘इन खाइयों से होने वाला रिचार्ज इतना प्रभावी होगा कि क्षेत्र के पौधों को पूरे साल सिंचाई की आवश्यकता नहीं होगी।’

उन्होंने इस अभियान को प्रेरित करने के लिए राजेंद्र सिंह, जिन्हें ‘भारत के जलपुरुष’ के रूप में जाना जाता है, और अन्ना हजारे जैसे प्रसिद्ध जल संरक्षण कार्यकर्ताओं को भी श्रेय दिया। दोनों ने महाराष्ट्र और राजस्थान के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में इसी तरह की खाई-आधारित जल संचयन विधियों को लागू किया है। महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले का एक गांव रालेगांव सिद्धि, वाटरशेड विकास के राष्ट्रीय मॉडल के रूप में प्रशंसित है।

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के नेतृत्व में, गांव सूखाग्रस्त क्षेत्र से समुदाय द्वारा संचालित पहलों जैसे कि ट्रेंचिंग, कंटूर बंडिंग, चेक डैम और वनरोपण के माध्यम से आत्मनिर्भर क्षेत्र में तब्दील हो गया।

रालेगांव सिद्धि की सफलता ने देश भर में इसी तरह के प्रयासों को प्रेरित किया है, जिसमें जल संरक्षण में स्थानीय भागीदारी और टिकाऊ प्रथाओं के प्रभाव पर जोर दिया गया है।

भाषा सं किशोर जफर मनीषा नरेश

नरेश

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