मुंबई, 17 जून (भाषा) महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने मंगलवार को राज्य में उन व्यक्तियों के लिए मासिक मानदेय की राशि दोगुनी कर 20,000 रुपये कर दी, जो आपातकाल के दौरान एक महीने से अधिक समय तक जेल में रहे थे।
मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि ऐसे व्यक्तियों की मृत्यु होने पर उनके जीवित पति/पत्नी को मासिक मानदेय की आधी राशि दी जाएगी।
ये निर्णय आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ से एक सप्ताह पहले लिए गए हैं। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक की 21 महीने के लिये देश में आपातकाल की घोषणा की गयी थी।
मुख्यमंत्री के रूप में फडणवीस के पहले कार्यकाल के दौरान, महाराष्ट्र सरकार ने 2018 में अपनी “गौरव योजना” के तहत ऐसे व्यक्तियों को उनके बलिदान के सम्मान में मासिक मानदेय प्रदान करने के लिए एक नीति शुरू की थी।
वर्तमान में राज्य में इस योजना के लगभग 3,000 लाभार्थी हैं।
संशोधित नीति के अनुसार, आपातकाल के दौरान एक महीने से अधिक समय तक जेल में रहने वाले व्यक्तियों को अब 20,000 रुपये प्रति माह मिलेंगे, जबकि उनके जीवित पति या पत्नी (जेल में रहने वाले व्यक्ति की मृत्यु की स्थिति में) को 10,000 रुपये प्रति माह मिलेंगे।
जिन लोगों को एक महीने से कम समय के लिए जेल में रहना पड़ा है, उन्हें 10,000 रुपये प्रति माह मिलेंगे, जबकि उनके जीवित पति या पत्नी को 5,000 रुपये मिलेंगे।
मानदेय का दावा करने के लिए जीवित पति/पत्नी को संबंधित जिला कलेक्टर कार्यालय में नया आवेदन प्रस्तुत करना होगा। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक बयान में कहा कि यदि आपातकाल के बंदियों की मृत्यु दो जनवरी, 2018 से पहले हो गई है, तो उनके जीवित पति या पत्नी आवेदन के साथ एक हलफनामा प्रस्तुत करके अब भी आवेदन कर सकते हैं।
इसमें कहा गया है कि आवेदन सरकारी प्रस्ताव जारी होने से 90 दिनों तक किया जा सकेगा।
मंत्रिमंडल ने पहले की यह शर्त भी हटा दी है कि आपातकाल के दौरान गिरफ्तारी के समय आवेदक की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए।
भाषा
प्रशांत माधव
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