बलिया (उप्र), 17 जून (भाषा) रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किए गए बांसडीह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के अधीक्षक की वाराणसी जिला जेल में मौत के एक दिन बाद बलिया जिले के चिकित्सकों ने मंगलवार को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में बाह्य रोगी सेवाएं (ओपीडी) बंद रखीं।
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ (पीएमएसए) ने सुनियोजित हत्या का आरोप लगाते हुए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. संजीव वर्मन ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा कि पिछले बृहस्पतिवार को गिरफ्तार किए गए डॉ. वेंकटेश मौर की सोमवार को वाराणसी जिला जेल में मौत हो गई।
सतर्कता अधिष्ठान (वाराणसी इकाई) की एक टीम ने मौर को बांसडीह सीएचसी परिसर में स्थित प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र (पीएमजेएके) के संचालक अजय तिवारी से 20,000 रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था।
शिकायत के अनुसार, संचालक तिवारी ने आरोप लगाया कि डॉ. मौर ने सीएचसी भवन से पीएमजेएके को सुचारू रूप से संचालित करने की अनुमति देने के लिए रिश्वत मांगी थी।
फार्मेसी, ‘अमृत फार्मेसी’ नामक एक स्थानीय संस्था के तहत पंजीकृत थी और बांसडीह स्वास्थ्य सुविधा में एक निर्दिष्ट स्थान के अंदर काम करती थी।
डॉक्टर की मौत के बाद जिले के चिकित्सा अधिकारियों में व्यापक आक्रोश है।
पीएमएसए के वरिष्ठ अधिकारी और सीएमओ मंगलवार को स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे और संवेदना व्यक्त की। विरोध के तौर पर सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर ओपीडी सेवाएं दिनभर के लिए बंद कर दी गईं।
पीएमएसए के जिला अध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार चौधरी ने मौत को ‘‘पूर्व नियोजित हत्या’’ करार दिया और सीबीआई जांच की मांग की।
डॉ. चौधरी ने कहा, ‘‘हिरासत में लिए जाने से पहले वह पूरी तरह स्वस्थ थे। न्यायिक हिरासत में उनकी मौत गंभीर सवाल खड़े करती है। ऐसा लगता है कि उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है।’’
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर तीन दिन के भीतर कोई कार्रवाई नहीं की गई तो आपातकालीन और पोस्टमार्टम को छोड़कर जिलेभर में सभी स्वास्थ्य सेवाएं बंद कर दी जाएंगी।
डॉ. वर्मन ने घटना के विरोध में ओपीडी सेवाएं बंद करने की पुष्टि की।
इस बीच, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी एवं आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने भी जांच की मांग की है।
मुख्य सचिव और उत्तर प्रदेश के डीजीपी को दी गई शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया कि जेल अधिकारियों द्वारा डॉ. मौर के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया और उनसे जबरन वसूली की गई।
मौर के करीबी लोगों से मिली जानकारी का हवाला देते हुए ठाकुर ने दावा किया कि ‘‘दुर्व्यवहार के कारण उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा, जिस पर गौर नहीं किया गया।’’
लखनऊ जेल में बिताए अपने दिनों को याद करते हुए ठाकुर ने कहा कि परिवार द्वारा लगाए गए आरोप विश्वसनीय लगते हैं। उन्होंने डॉ. मौर की मौत में वाराणसी जेल अधिकारियों की भूमिका की गहन जांच की मांग की है।
भाषा सं आनन्द रवि कांत खारी
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