कोलकाता, 17 जून (भाषा) पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में कालीगंज विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रचार मंगलवार शाम को समाप्त हो गया।
प्रचार के आखिरी दिन सड़कों पर जुलूस और विभिन्न राजनीतिक दलों की जनसभाएं देखने को मिलीं।
यह उपचुनाव तृणमूल कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस-वाम गठबंधन के बीच त्रिकोणीय मुकाबले का रूप लेता दिखाई दे रहा है। चुनावी चर्चा में पहचान आधारित राजनीति, मुर्शिदाबाद दंगों के बाद उपजी चिंताएं और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद बढ़ा राष्ट्रवादी माहौल प्रमुख मुद्दे बनकर उभरे हैं।
राजनीतिक दलों के सैकड़ों कार्यकर्ता अपने-अपने उम्मीदवारों के लिए समर्थन जुटाने के वास्ते सड़कों पर उतरे।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पश्चिम बंगाल में यह पहला चुनाव है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया था।
इस वर्ष की शुरुआत में तृणमूल कांग्रेस के विधायक नसीरुद्दीन अहमद के निधन के कारण यह उपचुनाव आवश्यक हो गया था।
तृणमूल कांग्रेस ने नसीरुद्दीन अहमद की बेटी, 38 वर्षीय अलीफा अहमद को अपना उम्मीदवार बनाया है।
अलीफा अहमद बीटेक स्नातक और कॉर्पोरेट पेशेवर हैं।
भाजपा ने स्थानीय पंचायत सदस्य और पूर्व मंडल अध्यक्ष आशीष घोष को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नीत वाम मोर्चा के समर्थन से काबिल उद्दीन शेख को उम्मीदवार बनाया है।
इस निर्वाचन क्षेत्र में कुल 2,52,670 पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें 1,30,363 पुरुष और 1,22,303 महिलाएं शामिल हैं।
सुचारू एवं सुलभ मतदान सुनिश्चित करने के लिए मतदान केन्द्रों की संख्या घटाकर 309 कर दी गई है।
मतदान 19 जून को होगा और मतों की गिनती 23 जून को होगी।
भाषा योगेश प्रशांत
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