लखनऊ, 17 जून (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को उस व्यक्ति के खिलाफ भगोड़ा घोषित करने की कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया जिसने अपने दो साल से अधिक उम्र के बच्चे को अदालत में पेश नहीं किया।
अदालत ने बच्चे की मां द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर यह आदेश दिया गया है।
पीठ ने मामले में आरोपी की संपत्ति कुर्क करने का भी निर्देश दिया और पुणे के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) को आदेश का आवश्यक अनुपालन करने का निर्देश दिया।
उत्तर प्रदेश के अयोध्या का रहने वाला व्यक्ति वर्तमान में महाराष्ट्र के पुणे में रहता है।
पीठ ने अपने वरिष्ठ रजिस्ट्रार को महाराष्ट्र के डीजीपी और पुणे के सीजेएम को उसके आदेश से अवगत कराने को कहा। मामले की अगली सुनवाई की तारीख एक अगस्त तय की गई है।
न्यायमूर्ति राजीव सिंह की अवकाश पीठ ने पिछले साल बच्चे की मां द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर यह आदेश पारित किया। महिला ने दलील दी है कि बच्चा अभी छोटा है और केवल वही उसकी देखभाल कर सकती है, लेकिन उसके पिता ने उसे अवैध रूप से उसके कानूनी संरक्षण से छीन लिया है।
महिला ने कहा है कि उसे अपने बच्चे से मिलने की भी अनुमति नहीं है। आदेश के अनुसार, उसने अपने बच्चे का संरक्षण देने का अनुरोध किया है।
आरोपी पिता के आचरण से नाराज पीठ ने महाराष्ट्र के डीजीपी और पुणे के सीजेएम को निर्देश जारी किए।
पीठ ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक को प्रतिवादी संख्या 4 (पिता) के खिलाफ धारा 82 और 83 सीआरपीसी/84 और 85 बीएनएसएस के तहत कार्रवाई शुरू करने और अगली तारीख पर इस अदालत के समक्ष उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है।’’
पीठ ने पिछले मौकों पर मामले की सुनवाई करते हुए व्यक्ति को नोटिस जारी किया था, जो कुछ तारीखों पर अदालत के समक्ष पेश हुआ लेकिन बाद में अदालत में पेश नहीं हुआ।
पीठ ने कहा कि स्पष्ट आदेश के बावजूद पिता बच्चे को अदालत के समक्ष पेश नहीं कर रहा है। अदालत ने पिछली तारीखों पर बच्चे को अदालत में पेश करने के लिए कई निर्देश जारी किए थे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
पिछली तारीख पर, पीठ ने वर्तमान में पुणे में रह रहे व्यक्ति के खिलाफ गैर जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी किया था और सीजेएम, पुणे को इसे निष्पादित करने का निर्देश दिया था, लेकिन पुलिस की एक रिपोर्ट अदालत में पेश की गई जिसमें कहा गया था कि व्यक्ति लापता है।
बच्चे की मां ने इस संबंध में व्यक्ति की गुमशुदगी की रिपोर्ट पुणे पुलिस में दर्ज कराई है, इसलिए एनबीडब्ल्यू निष्पादित नहीं किया जा सका।
अदालत के सामने यह भी आया कि दंपति के बीच विवाद से संबंधित एक मामला उच्चतम न्यायालय में दायर किया गया था, जिसने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा था, लेकिन यह भी विफल हो गया क्योंकि व्यक्ति मध्यस्थता कार्यवाही में उपस्थित नहीं हुआ था।
भाषा सं आनन्द सुरभि
सुरभि