(सिद्धांत मिश्रा)
नयी दिल्ली, 17 जून (भाषा) दिल्ली सरकार संपत्ति पंजीकरण के लिए पहली बार पानी के बिल को अनिवार्य दस्तावेज बनाने पर विचार कर रही है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
इस संबंध में दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) द्वारा शुरुआती आंकलन किया जा रहा है। इस कदम का उद्देश्य सभी जगहों तक पानी और सीवर नेटवर्क को पहुंचाना है, साथ ही अपंजीकृत और अवैध पानी कनेक्शनों के कारण राजस्व हानि को भी दूर करना है।
दिल्ली जल बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हम संपत्ति पंजीकरण के दौरान पानी के बिल को अनिवार्य दस्तावेज बनाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं। सब-रजिस्ट्रार कार्यालय से आंकड़े जुटाने के लिए उसे पहले ही एक पत्र भेजा जा चुका है।’’
दिल्ली में वर्तमान में लगभग 29 लाख पंजीकृत पानी कनेक्शन हैं जो घरों की वास्तविक संख्या से काफी कम है।
कई क्षेत्रों, विशेष रूप से अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोग बुनियादी ढांचे की मौजूदगी के बावजूद वैध कनेक्शन के बिना जल बोर्ड की सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं। इससे न केवल दिल्ली जल बोर्ड के राजस्व पर असर पड़ता है, बल्कि अपशिष्ट जल प्रबंधन भी प्रभावित होता है।
अधिकारियों ने बताया कि जिस तरह बिजली के बिल को अक्सर संपत्ति पंजीकरण के दौरान महत्वपूर्ण दस्तावेज के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है, उसी तरह पानी के बिल को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘इससे संपत्ति की बिक्री या खरीद के समय पानी बिल के बकाया का भुगतान और नियमित कनेक्शन सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।’’
इस प्रस्ताव का उद्देश्य दिल्ली के सीवरेज के बुनियादी ढांचे से जुड़ी लंबित समस्याओं का समाधान करना भी है।
फिलहाल, दिल्ली की 1,800 अनधिकृत कॉलोनियों में से केवल 1,200 में ही सीवर लाइन की सुविधा है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘संपत्ति पंजीकरण के दौरान पानी का बिल अनिवार्य करने से पारदर्शिता आएगी और बाद में होने वाली जटिलताओं से बचा जा सकेगा।’’
भाषा खारी पवनेश
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