(प्रशांत रंगनेकर)
अहमदाबाद, 18 जून (भाषा) बीमा कंपनियों को पिछले सप्ताह अहमदाबाद एयर इंडिया विमान हादसे के पीड़ितों के दावों का निपटान करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि कई मामलों में पॉलिसीधारक और उसके नामित व्यक्ति (नॉमिनी), दोनों ही इस त्रासदी में मारे गए हैं।
अहमदाबाद से 12 जून को लंदन जाने वाले विमान की भयावह दुर्घटना में पूरे परिवार के खत्म हो जाने या पति-पत्नी में से किसी एक की मृत्यु हो जाने के मामले सामने आए हैं। इस विमान में सवार 241 लोगों और जमीन पर मौजूद 29 लोगों की जान चली गई थी।
हादसे के तुरंत बाद, भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) ने बीमा कंपनियों से कहा कि वे विदेशी चिकित्सा बीमा, व्यक्तिगत दुर्घटना और जीवन बीमा पॉलिसियों के जारी करने संबंधी अपने आंकड़ों से मृतक के विवरण का सत्यापन करें।
परामर्श में यह भी कहा गया कि यात्रियों की सूची में शामिल पुष्टिकृत मृत व्यक्तियों तथा दुर्घटना से प्रभावित इमारतों में रहने वाले व्यक्तियों के मामले में प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं के कारण किसी भी दावे को अस्वीकार या विलंबित नहीं किया जाएगा।
इसके बाद भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी), न्यू इंडिया एश्योरेंस, एचडीएफसी लाइफ, इफ्को टोकियो जनरल इंश्योरेंस, बजाज आलियांज जीआईसी और टाटा एआईजी इंश्योरेंस जैसी प्रमुख बीमा कंपनियों ने प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए अहमदाबाद सिविल अस्पताल में अपनी सहायता खिड़की स्थापित की हैं।
बीमा कंपनियों ने कहा कि वे प्राधिकारियों द्वारा साझा किए गए आंकड़ों का अपने आंकड़ों से मिलान कर रही हैं तथा सक्रिय रूप से परिवारों से संपर्क कर रहे हैं।
एलआईसी के प्रशासनिक अधिकारी आशीष शुक्ला ने पीटीआई-भाषा को बताया कि कंपनी को अब तक अस्पताल और उसके कार्यालयों में 10 दावे प्राप्त हुए हैं।
बीमा कंपनी के अधिकारी ने कहा कि एक मामला ऐसा भी है, जिसमें बीमित व्यक्ति ने अपने जीवनसाथी को नामित किया था और दुर्घटना में दोनों की मौत हो गई।
इफ्को टोकियो इंश्योरेंस के मैनेजर (क्लेम) मनप्रीत सिंह सभरवाल ने भी एक ऐसे मामले का जिक्र किया जिसमें एक कंपनी के निदेशक और उनकी पत्नी (जो उनकी नामित थी) दोनों की विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई।
उन्होंने बताया कि कंपनी ने अपने कर्मचारियों का इफ्को टोकियो के साथ समूह बीमा कराया है।
टाटा एआईजी के क्षेत्रीय परिचालन के प्रमुख अधिकारी निश्चल बुच ने कहा कि उन्हें अब तक सात दावे प्राप्त हुए हैं, जिनमें से एक ऐसा मामला है जिसमें मृतक ने अपने जीवनसाथी को नामित किया था और उसकी भी विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई।
बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों ने कहा कि यह कार्य तब कठिन हो जाता है जब बीमाकृत व्यक्ति और नामित व्यक्ति दोनों की मृत्यु हो जाती है, जैसा कि विमान दुर्घटनाओं के मामले में होता है।
शुक्ला ने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में, वे उत्तराधिकार प्रमाणपत्र तब मांगते हैं जब बीमाधारक और नामित व्यक्ति, दोनों की मृत्यु हो जाती है। एक विशेष मामले के रूप में, कंपनी ने अब अपवाद बनाया है।
उन्होंने कहा, “यदि बीमाधारक और नामांकित व्यक्ति, दोनों की मृत्यु हो गई है, तो हम श्रेणी-1 के वारिसों की तलाश करते हैं, जो आमतौर पर बच्चों जैसे रक्त संबंधी होते हैं। यदि कई बच्चे हैं, तो हम वारिसों से एक घोषणापत्र लेते हैं कि दावे का निपटान कैसे किया जाना है और कंपनी को क्षतिपूर्ति बॉन्ड जमा करना होता है।”
बुच ने कहा कि उनकी कंपनी की कानूनी टीम इस बात पर विचार कर रही है कि क्या उन मामलों में उत्तराधिकारियों की संयुक्त घोषणा मांगी जा सकती है, जहां बीमाधारक और नामित व्यक्ति, दोनों की मृत्यु हो गई हो।
भाषा अनुराग अजय
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