(फाइल फोटो के साथ)
पणजी, 18 जून (भाषा) गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने बुधवार को रोजगार के अवसरों के बावजूद उद्योगों में ‘श्रमबल की बहुत कमी’ को स्वीकार किया और कहा कि स्थानीय युवा नौकरी की सुरक्षा की चिंताओं के कारण निजी क्षेत्र में शामिल होने से हिचकते हैं।
सावंत की अध्यक्षता में विभिन्न उद्योग निकायों और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों की एक बैठक में उद्योगों में न्यूनतम मजदूरी को संशोधित करने और कौशल पाठ्यक्रम शुरू करने पर चर्चा की गई।
सावंत ने कहा कि उद्योगों में श्रमशक्ति की काफी कमी देखी जा रही है। उन्होंने उदाहरण दिया जिसमें गोवा फार्मा एसोसिएशन द्वारा आयोजित साक्षात्कार के लिए सिर्फ दो उम्मीदवार आए।
उन्होंने कहा कि जहाज निर्माण क्षेत्र में भी ऐसी ही स्थिति है।
सावंत ने कहा, “रोजगार के अवसर तो उपलब्ध हैं, लेकिन जनशक्ति नहीं है।”
उन्होंने कहा कि बैठक में स्थानीय युवाओं की भर्ती में उद्योगों के सामने आने वाली समस्याओं पर ध्यान केंद्रित किया गया।
उन्होंने कहा कि सरकार ने कौशल पाठ्यक्रम शुरू करने और कार्ययोजना तैयार करने पर चर्चा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोवा में युवा नौकरी की सुरक्षा की चिंता के कारण निजी क्षेत्र में जाने से हिचकते हैं।
उन्होंने कहा, “विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के बाद, हमने पाया कि युवाओं को लगता है कि निजी क्षेत्र में नौकरी की सुरक्षा नहीं है। वे निजी नौकरियों को करियर विकल्प के रूप में पसंद नहीं करते हैं।”
उन्होंने कहा कि सरकार निजी उद्योगों में काम करने वाले श्रमिकों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाएगी।
सावंत ने कहा, “श्रमिकों का किसी भी तरह का शोषण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ऐसे प्रबंधन को परिणाम भुगतने होंगे।”
मुख्यमंत्री ने औद्योगिक कार्यों के लिए गोवा के ठेकेदारों को अनिवार्य रूप से काम पर रखने की घोषणा की।
उन्होंने कहा कि बैठक में मौजूदा वेतन ढांचे की भी समीक्षा की गई और उद्योगों में न्यूनतम मजदूरी को संशोधित करने का निर्णय लिया गया।
चर्चा का एक और अहम मुद्दा बस स्टैंड को औद्योगिक क्षेत्रों से जोड़ने वाले परिवहन की कमी था। उद्योग निकायों से कहा गया है कि वे आवश्यक कार्रवाई के लिए अपनी परिवहन जरूरतों को सरकार के सामने पेश करें।
श्रम कल्याण के संबंध में एक बड़े फैसले में मुख्यमंत्री ने कहा कि एक जुलाई, 2025 से कंपनियों को श्रमिकों के बच्चों के लिए आवास सहायता और छात्रवृत्ति सहित 16 विभिन्न लाभ योजनाओं को लागू करने के लिए श्रम कल्याण कोष और निर्माण श्रमिक कल्याण कोष से धन का उपयोग करना होगा।
दोनों कोष में संयुक्त रूप से 600 करोड़ रुपये हैं।
भाषा अनुराग अजय
अजय