लेह, 18 जून (भाषा) सेना के 28-सदस्यीय पर्वतारोहण अभियान दल ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में काराकोरम पर्वतमाला पर 22,000 फुट से अधिक ऊंचे पर्वत शिखर ‘माउंट शाही कांगड़ी’ और ‘माउंट सिल्वर पीक’ पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की। एक रक्षा प्रवक्ता ने यह जानकारी दी है।
प्रवक्ता ने बताया कि ऊंची पर्वत शृंखलाओं पर चढ़ाई के लिए चयनित और विशेष रूप से प्रशिक्षित यह टीम लद्दाख के उन बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए 28 मई को रवाना हुई, जिन्होंने 2020 के गलवान संघर्ष के दौरान सर्वोच्च बलिदान दिया था।
उन्होंने बताया कि 22,749 फुट ऊंचे ‘माउंट शाही कांगड़ी’ और 22,543 फुट ऊंचे ‘माउंट सिल्वर पीक’ पर सफल चढ़ाई के बाद लेह स्थित ‘फायर एंड फ्यूरी कोर’ के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने ऐतिहासिक पर्वतारोहण अभियान को बुधवार को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
प्रवक्ता ने कहा कि यह अभियान सैन्यकर्मियों की शारीरिक, तकनीकी और मानसिक उत्कृष्टता को प्रदर्शित करता है और साथ ही दूरदराज के क्षेत्रों में अधिक ऊंचाई वाले अभियानों को बढ़ावा देता है।
उन्होंने कहा कि ‘माउंट शाही कांगड़ी’ और ‘माउंट सिल्वर पीक’ देपसांग मैदानों के दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित हैं, जो लद्दाख के सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में से एक है।
उन्होंने कहा कि ये पहाड़ पूरे साल बर्फ से ढके रहते हैं और ये कठिन पर्वतीय क्षेत्र और जलवायु संबंधी मुश्किलें पेश करते हैं।
प्रवक्ता के अनुसार, सावधानीपूर्वक बनाई गयी योजना और प्रशिक्षण के साथ अभियान दल दक्षिण-पूर्व दिशा से चोटियों के पास पहुंचा। प्रवक्ता ने कहा कि इससे शिखर की कुल दूरी कम हो गई, लेकिन इस दौरान अभियान दल के सदस्यों को कंदराओं और हिमनद के खतरनाक इलाकों से गुजरना पड़ा।
प्रवक्ता ने कहा कि चुनौतीपूर्ण मील का पत्थर हासिल करने के अलावा यह अभियान भविष्य में इन दोनों पर्वत शृंखलाओं पर चढ़ाई के लिए असैनिक पर्वतारोहण अभियान दलों को भी आकर्षित करता है, जिससे लद्दाख में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा मिलता है।
उन्होंने कहा कि अभियान का समापन फायर एंड फ्यूरी कोर के जीओसी को अभियान ध्वज और बर्फ काटने में उपयोगी कुठार भेंट करने के साथ हुआ।
प्रवक्ता ने कहा कि प्रतिभागियों ने इस चुनौतीपूर्ण अभियान के दौरान हासिल अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि यह अभियान गलवान के बहादुर सैनिकों को एक सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा कि यह अभियान साबित करता है कि भारतीय सेना के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।
भाषा सुरेश माधव
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