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Thursday, June 19, 2025

ईरान-इजराइल संघर्ष: चाय निर्यातक चिंतित, परंपरागत चाय की कीमतों में गिरावट शुरू

Newsईरान-इजराइल संघर्ष: चाय निर्यातक चिंतित, परंपरागत चाय की कीमतों में गिरावट शुरू

(बप्पादित्य चटर्जी)

कोलकाता, 18 जून (भाषा) पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष ने चाय निर्यातकों की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि ईरान को निर्यात की खेप की संभावनाओं के बारे में अनिश्चितता बनी हुई है और परंपरागत चाय किस्म की कीमतों में “गिरावट” के शुरुआती संकेत देखे गए हैं। चाय क्षेत्र के अंशधारकों ने यह जानकारी दी है।

ईरान आमतौर पर चाय के इस किस्म का आयात भारत से करता है।

उन्हें यह भी आशंका है कि निर्यातकों को ईरान को निर्यात खेप के लिए बढ़ते माल ढुलाई शुल्क और बीमा लागत के मामले में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि ईरान, इजराइल के साथ सैन्य संघर्ष की स्थिति के बीच है।

भारतीय चाय संघ के अध्यक्ष हेमंत बांगुर ने कहा कि निर्यातक परंपरागत चाय खरीदने के मामले में सतर्क हैं क्योंकि वे ईरान को निर्यात करने के बारे में सुनिश्चित नहीं हैं और उस देश के आयातकों से भुगतान के बारे में भी चिंतित हो सकते हैं।

बांगुर ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘निर्यातकों ने नीलामी के माध्यम से पारंपरिक चाय खरीदने के बारे में सतर्क रुख अपनाया है, क्योंकि वे ईरान को भेजी जाने वाली निर्यात खेपों की मात्रा को लेकर अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं और भुगतान को लेकर भी चिंतित हैं। इससे पारंपरिक चाय की बिक्री प्रतिशत और कीमतों में गिरावट आई है।’’

पारंपरिक चाय को प्रीमियम किस्म और पैसे कमाने वाली चाय माना जाता है, क्योंकि इससे बागान मालिकों और व्यापारियों को बेहतर कीमत पाने में मदद मिलती है।

भारतीय चाय निर्यातक संघ के अध्यक्ष अंशुमान कनोरिया ने पीटीआई-भाषा से कहा कि अनिश्चितता के कारण निर्यातक ईरान के लिए चाय खरीदने में झिझक दिखा रहे हैं और इससे पारंपरिक चाय की बिक्री और कीमतों पर असर पड़ा है।

कनोरिया ने कहा, ‘‘पिछले कुछ दिन में बिक्री और कीमतों के मामले में पारंपरिक चाय बाजार में लगभग 5-10 प्रतिशत की गिरावट आई है और इसका मुख्य कारण ईरान और इजरायल के बीच भू-राजनीतिक तनाव से उत्पन्न अनिश्चितता है। संघर्ष से पहले बाजार की धारणा आशावादी थी। हालांकि, हम संघर्ष के जल्द समाधान की उम्मीद कर रहे हैं।’’

उनके सुर में सुर मिलाते हुए, शीर्ष निर्यातकों में से एक, एशियन टी कंपनी के निदेशक मोहित अग्रवाल ने कहा कि संघर्ष के बाद से असम ‘ऑर्थोडॉक्स’ किस्म की बिक्री बंद हो गई है और निर्यातक चिंतित हैं।

अग्रवाल ने कहा, ‘‘ईरान मुख्य रूप से असम ऑर्थोडॉक्स चाय का बाजार है और संघर्ष शुरू होने के बाद से नीलामी बिक्री की मात्रा में गिरावट आई है और नीलामी में इस किस्म की कीमतों में पांच से 10 प्रतिशत की गिरावट आई है। हालांकि, स्थिति का आकलन करना अभी जल्दबाजी होगी। यह अब ‘देखो और इंतजार करो’ की घड़ी है। यदि संघर्ष लंबा चलता है, तो यह चाय निर्यात की संभावना पर असर डालेगा, लेकिन हम जल्दी समाधान की उम्मीद कर रहे हैं।’’

निर्यातकों ने कहा कि अगर तनाव बढ़ता है और संघर्ष पश्चिम एशिया क्षेत्र के अन्य देशों में फैलता है तो स्थिति और खराब हो सकती है।

जनवरी से दिसंबर, 2024 तक भारत से चाय का निर्यात 9.92 प्रतिशत बढ़कर 25 करोड़ 46.7 लाख किलोग्राम हो गया, जबकि पिछले कैलेंडर वर्ष में यह 23 करोड़ 16.9 लाख किलोग्राम था।

चाय बोर्ड के अस्थायी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से मार्च, 2025 की तिमाही के दौरान निर्यात पिछले वर्ष की इसी अवधि के छह करोड़ 75.3 लाख किलोग्राम की तुलना में मामूली रूप से बढ़कर छह करोड़ 92.2 लाख किलोग्राम हो गया।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

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