नयी दिल्ली, 18 जून (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत एक आरोपी व्यक्ति को बरी करने के फैसले को बरकरार रखा है।
न्यायमूर्ति अमित महाजन सितंबर 2020 के अधीनस्थ अदालत के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। निचली अदालत ने पोक्सो अधिनियम की धारा 10 (गंभीर यौन उत्पीड़न) और नौ (एम) (12 साल से कम उम्र के बच्चे का यौन उत्पीड़न) के तहत आरोपी को बरी कर दिया था।
न्यायाधीश ने 17 जून को दिए गए फैसले में कहा, ‘यह सामान्य कानून है कि इस न्यायालय को सावधानी बरतनी चाहिए तथा बरी किए जाने के विरुद्ध अपील में केवल तभी हस्तक्षेप करना चाहिए, जब ऐसा करने के लिए पर्याप्त और बाध्यकारी कारण हों।’
अदालत ने कहा कि नाबालिग लड़की और उसके माता-पिता के बयानों में विसंगतियां पाए जाने के बाद आरोपी को बरी किया गया।
न्यायाधीश ने कहा कि नाबालिग लड़की जिरह के दौरान यौन उत्पीड़न के आरोपों से पीछे हट गई और उसने कहा कि आरोपी ने सिर्फ उसे थप्पड़ मारा था।
यह भी रिकॉर्ड में आया कि नाबालिग के पिता ने कथित यौन उत्पीड़न के बारे में अपनी पत्नी से जानकारी मिलने से इनकार किया।
न्यायाधीश ने कहा, ‘अधीनस्थ अदालत ने यह भी कहा कि वादी की मां ने अपनी जिरह में इस तथ्य से इनकार किया कि लड़की ने उसे बताया था कि आरोपी ने उसका यौन उत्पीड़न किया था।’
उच्च न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत द्वारा आरोपी को बरी करना सही कदम है।
भाषा नोमान अविनाश
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