जिनेवा, 18 जून (भाषा) भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को “गलत तरीके से पेश करने” के पाकिस्तान के प्रयास की बुधवार को आलोचना की और कहा कि जब कोई देश निर्दोष लोगों का नरसंहार करने वाले आतंकवादियों को पनाह देता है, तो रक्षात्मक कार्रवाई न केवल अधिकार है, बल्कि एक परम कर्तव्य होता है।
भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था जिसमें 26 लोग मारे गए थे।
जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के काउंसलर क्षितिज त्यागी ने यहां संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सत्र में यह बात कही।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के एक सुरम्य क्षेत्र को कत्लेआम के मैदान में बदलते हुए पहलगाम में 26 लोगों की बर्बर हत्या कर दी।
त्यागी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आतंकवाद के इस निंदनीय कृत्य की निंदा की है और सभी अपराधियों, षड्यंत्रकारियों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने का आह्वान किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘और हम सभी जानते हैं कि ये प्रायोजक पाकिस्तानी धरती से काम करते हैं।’’
ऑपरेशन सिंदूर को गलत तरीके से पेश करने के पाकिस्तान के प्रयास की कड़ी आलोचना करते हुए भारतीय राजनयिक ने कहा, ‘‘जब कोई देश निर्दोष लोगों का नरसंहार करने वाले आतंकवादियों को पनाह देता है, तो रक्षात्मक कार्रवाई न केवल अधिकार है, बल्कि यह एक परम कर्तव्य होता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अपनी सैन्य छावनी में ओसामा बिन लादेन की मेजबानी करने से लेकर वैश्विक स्तर पर प्रतिबंधित आतंकवादियों के लिए राजकीय अंतिम संस्कार करने तक… वह पीड़ित होने का दावा करता है और जिहादी आतंक का स्वीकार्य केंद्र बना हुआ है।’’
इससे पहले त्यागी ने कहा कि पाकिस्तान के बेहद परेशान करने वाले बयान पर भारत प्रतिक्रिया देने के अपने अधिकार का प्रयोग करने के लिए विवश है।
उन्होंने कहा कि ‘‘यह बयान, हमेशा की तरह, अत्यधिक दुस्साहस के साथ, पीड़ित और अपराधी को उलट-पुलट कर देने का प्रयास करता है, ताकि अपने स्वयं के शर्मनाक रिकॉर्ड से ध्यान भटकाया जा सके।’’
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने अपने भाषण में वैश्विक मानवाधिकार स्थिति पर उच्चायुक्त की व्यापक समीक्षा पर चर्चा करने पर ध्यान देने के विपरीत अपने घिसे-पिटे, मनगढ़ंत आख्यान के साथ जुनूनी रूप से भारत पर ही ध्यान केंद्रित किया।
पहलगाम हमले के बाद भारत द्वारा उठाए गए कई दंडात्मक कदमों में 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित करना भी शामिल था, जिसकी पाकिस्तान ने आलोचना की थी।
सिंधु जल संधि पर पाकिस्तान की टिप्पणियों का उल्लेख करते हुए त्यागी ने कहा, ‘‘छह दशकों से अधिक समय से भारत द्वारा दृढ़तापूर्वक पालन किए जाने के बावजूद, पाकिस्तान ने भारत की वैध परियोजनाओं में बाधा डालने के लिए संधि की प्रक्रियाओं का दुरुपयोग किया है, जबकि निरंतर शत्रुता और सीमा पार आतंकवाद के माध्यम से इसकी भावना को ठेस पहुंचाई है।’’
उन्होंने कहा कि सिंधु जल संधि के ‘‘पुनर्मूल्यांकन’’ के कारणों में जलवायु संबंधी अनिवार्यताएं, प्रौद्योगिकी प्रगति, स्वच्छ ऊर्जा की जरूरतें और ‘‘पाकिस्तान द्वारा लगातार आतंकवाद को प्रायोजित किया जाना’’ जैसी शामिल हैं।
त्यागी ने कहा, ‘‘जब कोई राष्ट्र किसी संधि के आधार का उल्लंघन करता है, तो वह अपनी सुरक्षा का उपयोग करने का अधिकार खो देता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कोई राष्ट्र आतंक को पोषकर सहानुभूति पाने की उम्मीद नहीं कर सकता। दुनिया पाकिस्तान के धोखे के रंगमंच को देख रही है।’’
त्यागी ने कहा कि भारत अपने नागरिकों, अपनी संप्रभुता और अपने मूल्यों की रक्षा के लिए जिम्मेदारी और संकल्प के साथ कार्य करना जारी रखेगा, जैसा कि किसी भी राष्ट्र को करना चाहिए।
भाषा
नेत्रपाल माधव
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