कोलकाता, 18 जून (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि केंद्र सरकार को राज्य में जांच दल भेजने के बजाय मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम ) के लिए लंबित धनराशि जारी करनी चाहिए।
ममता बनर्जी का यह बयान कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस निर्देश के बाद आया है जिसमें केंद्र को निर्देश दिया है कि वह पश्चिम बंगाल में 100 दिन की रोजगार गारंटी योजना, मनरेगा को एक अगस्त से लागू करे।
उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य में इस योजना के तहत मजदूरी का भुगतान लगभग तीन वर्षों से नहीं किया गया है, क्योंकि कुछ लाभार्थियों को भुगतान में अनियमितताएं बरती गई हैं।
अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए बनर्जी ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार बंगाल में टीम भेज रही है, लेकिन पहले हमें बकाया धनराशि दे। पिछले कुछ वर्षों से एक भी रुपया जारी नहीं किया गया है। यह जनता का पैसा है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि योजना के तहत अब तक किए गए काम के लिए श्रमिकों को भुगतान नहीं किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘100 दिन की कार्य योजना के लिए धनराशि जारी नहीं की गई है। लोगों ने काम किया, लेकिन उन्हें भुगतान नहीं किया गया। वह पैसा कौन देगा? हमने राज्य सरकार के कोष से इसका भुगतान किया है। हम अपने पैसे से ‘कर्मश्री’ योजना क्रियान्वित कर रहे हैं।’’
मुख्यमंत्री ने 20 जून को ‘पश्चिम बंगा दिवस’ मनाने के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कदम पर भी सवाल उठाया। वर्ष 1947 में इसी दिन बंगाल विधानसभा की बैठक हुई थी और उसने विभाजन के पक्ष में मतदान किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘अब आप आकर ‘बांग्ला दिवस’ मनाना चाहते हैं? बंगाल को लगातार अपमानित करने वाले और वंचित करने वाले लोग अब उसे सम्मानित करने की कोशिश कर रहे हैं? ’’
पश्चिम बंगाल सरकार ने पिछले वर्ष राज्य निधि का उपयोग करते हुए लगभग 30 लाख मनरेगा श्रमिकों को 2,700 करोड़ रुपये की बकाया राशि वितरित करना शुरू किया था।
ये भुगतान मार्च 2022 से लंबित है। केंद्र सरकार द्वारा बंगाल को मनरेगा का बकाया न देना प्रदेश की राजनीतिक बहस में एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है। तृणमूल कांग्रेस ने इसको लेकर भाजपा नीत केंद्र सरकार पर राज्य के खिलाफ ‘आर्थिक भेदभाव’ करने का आरोप लगाया।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र को निर्देश दिया कि वह पश्चिम बंगाल में स्थगित पड़ी मनरेगा योजना को एक अगस्त से लागू करे।
उच्च न्यायालय ने कहा कि केंद्र को विशेष नियम, शर्तें और प्रतिबंध लगाने का अधिकार है, जो देश के अन्य राज्यों में नहीं लगाए गए हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यहां योजना के क्रियान्वयन के दौरान कोई अवैधता या अनियमितता नहीं हो।
मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति चैताली चटर्जी (दास) की पीठ ने केंद्र को राज्य के कुछ जिलों में अनियमितताओं के आरोपों की जांच जारी रखने की अनुमति देते हुए निर्देश दिया कि योजना को एक अगस्त से लागू किया जाए।
भाषा रवि कांत रवि कांत खारी
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