मंगलुरु, 18 जून (भाषा) मंगलुरु के तटीय इलाकों में ओलिव रिडले समुद्री कछुओं की सुरक्षा के लिए किए गए संरक्षण प्रयासों से अंडों से जीवित बच्चे निकलने की सफलता दर रिकॉर्ड 74 प्रतिशत तक पहुंच गयी है जो पिछले साल के 50.3 प्रतिशत की तुलना में जबर्दस्त वृद्धि है।
मंगलुरु मंडल के उप वन संरक्षक (डीसीएफ) एंथनी एस मरिअप्पा के अनुसार इस मौसम में 24 घोंसलों में 2,490 अंडे दर्ज किए गए जिनमें से 1,842 बच्चे सफलतापूर्वक अरब सागर में छोड़े गए।
उन्होंने बताया कि इन रिडले समुद्री कछुओं के घोंसले बनाने की गतिविधि कई समुद्र तटीय इलाकों में दर्ज की गई जिसमें ससिहिथ्लु में आठ, इड्या बीच पर 13 और बेंगा, तन्निर्भवी एवं पणम्बूर में एक-एक घोंसला शामिल है। इसकी तुलना में पिछले सीजन में ससिहिथ्लु, बेंगा, इड्या और चित्रापुरा जैसे समुद्र तटों पर 21 घोंसलों में 1,958 अंडों से इन कछुओं के केवल 985 बच्चे ही निकले थे।
मरिअप्पा ने इस बेहतर परिणाम का श्रेय इस साल लागू की गई उन्नत संरक्षण पद्धतियों को दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘प्राकृतिक रूप से अंडों से बच्चों का निकलना हमेशा बेहतर होता है लेकिन मिट्टी की गुणवत्ता जैसी कुछ चुनौतियों से हमने सीखते हुए अपने दृष्टिकोण में सुधार किया है जिसके परिणाम सामने हैं।’’
उन्होंने बताया कि कुछ समुद्र तटों विशेष रूप से बेंगा और तन्निर्भवी में मिट्टी के ठोस होने की समस्या के निदान के लिए अधिकारियों ने कमजोर घोंसलों को अधिक अनुकूल स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया। इस कदम से कछुओं के जीवित रहने की दर को बढ़ाने में महत्वपूर्ण लाभ हुआ।
भाषा इन्दु सुरभि
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