नयी दिल्ली, 18 जून (भाषा) कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को विदेश दौरे से लौटते ही सर्वदलीय बैठक बुलाकर सभी राजनीतिक दलों को यह बताना चाहिए कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर उनकी क्या बातचीत हुई है तथा उन्हें मध्यस्थता संबंधी ट्रंप के दावे को सार्वजनिक रूप से खारिज करना चाहिए।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस में भोज के लिए बुलाया जाना भारत के लिए कूटनीतिक झटका है और इस पर प्रधानमंत्री को ट्रंप के समक्ष नाराजगी जतानी चाहिए थी।
उन्होंने यह भी कहा कि कारगिल समीक्षा समिति की तर्ज पर पहलगाम समीक्षा समिति का गठन होना चाहिए, ताकि सैन्य और सुरक्षा से जुड़े पहलुओं को छोड़कर अन्य बिंदुओं पर चर्चा हो सके।
व्हाइट हाउस की ओर से बुधवार के लिए जारी ट्रंप के कार्यक्रम में लिखा गया है कि वह कैबिनेट रूम में पाकिस्तानी सेना के प्रमुख आसिम मुनीर के साथ आज दोपहर का भोजन करेंगे।
इससे पहले, विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन पर हुई करीब 35 मिनट की बातचीत पर एक बयान में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर के सिलसिले में व्यापार से जुड़े किसी विषय पर चर्चा नहीं हुई। उन्होंने कहा कि भारत ने कभी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की और भविष्य में भी ऐसी कोई मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा।’’
विदेश सचिव के मुताबिक, मोदी ने ट्रंप से फोन पर बात की और उन्हें स्पष्ट रूप से कहा कि भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान पर हमले पड़ोसी देश के अनुरोध पर ‘‘रोके’’ थे न कि अमेरिका द्वारा मध्यस्थता या किसी व्यापार समझौते की पेशकश के कारण।
रमेश ने कहा कि जब प्रधानमंत्री स्वदेश लौटें तो उन्हें सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए और बताना चाहिए कि ट्रंप के साथ उनकी 35 मिनट की बातचीत इसी बारे में थी।
उन्होंने उल्लेख किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने 14 बार यह दावा किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच उन्होंने मध्यस्थता करवाई।
रमेश का कहना है, ‘ट्रंप के 14 दावों पर अपनी चुप्पी तोड़ने में उन्हें (मोदी को) 37 दिन लग गए। इसलिए उन्हें राष्ट्र को विश्वास में लेना चाहिए।
कांग्रेस महासचिव के अनुसार, ट्रंप के मध्यस्थता संबंधी दावे, आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस में दोपहर के भोज पर बुलाया जाना और माइकल कुरिल्ला का बयान प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीति के लिए तीन बड़े झटके हैं।
उन्होंने कहा, ‘ये अप्रत्याशित झटके हैं। हमें दिखावे पर कम और तथ्य पर अधिक निर्भर रहना चाहिए। राष्ट्र को विश्वास में लेने और सामूहिक इच्छाशक्ति और संकल्प व्यक्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।’
विदेश सचिव के बयान से कुछ घंटे बाद ट्रंप ने फिर से यह दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष रुकवाया।
ट्रंप के ताजा दावे को लेकर कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि अब प्रधानमंत्री मोदी को खुद सार्वजनिक रूप से ट्रंप के दावे को खारिज करना चाहिए।
खेड़ा ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘विदेश सचिव के लिए थोड़ी सहानुभूति तो बनती है। उन्हें उस सरकार की गड़बड़ियों को संभालना पड़ रहा है जो खुद अपनी कहानी पर कायम नहीं रह पा रही है।’
उनके अनुसार, आज सुबह ही मिसरी ने ज़ोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप को बताया था कि मई में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ युद्धविराम पूरी तरह से सैन्य स्तर पर हुई बातचीत का नतीजा था, जिसमें अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी, लेकिन कुछ ही घंटों बाद, राष्ट्रपति ट्रंप ने खुद ही इस दावे को गलत साबित कर दिया — एक बार फिर यह दावा करते हुए कि उन्होंने ही दोनों परमाणु ताकतों के बीच यह युद्धविराम करवाया, और इसके लिए व्यापार को एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया।
कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि क्या यह है इस सरकार की कूटनीतिक स्पष्टता?
खेड़ा ने कहा, ‘डोनाल्ड ट्रंप किसी वरिष्ठ अधिकारी के ज़रिए नहीं, बल्कि खुद कह रहे हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की। ऐसे में, अगर राष्ट्रपति ट्रंप के दावे गलत हैं, तो प्रधानमंत्री मोदी को खुद सामने आकर इन दावों को सार्वजनिक रूप से खारिज करना चाहिए — किसी प्रतिनिधि के ज़रिए नहीं।’
भाषा हक माधव रंजन
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