वाशिंगटन, 18 जून (भाषा) अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को व्हाइट हाउस में पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर की मेजबानी की।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर की ट्रंप से यह मुलाकात भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक चले सैन्य संघर्ष के कुछ सप्ताह बाद हुई है।
बंद कमरे में हुई बैठक इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच हुई, जिसमें ट्रंप वाशिंगटन की संभावित भागीदारी पर विचार कर रहे हैं।
इस्लामाबाद तेहरान के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों के लिए जाना जाता है।
जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, मुनीर ने व्हाइट हाउस में दोपहर के भोजन पर राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात की।
यह तुरंत पता नहीं चल पाया कि ट्रंप और पाकिस्तान के फील्ड मार्शल मुनीर के बीच बैठक में क्या बात हुई।
ट्रंप, इजराइल-ईरान संघर्ष के कारण पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने के बीच जी7 शिखर सम्मेलन के लिए कनाडा के कनैनिस्किस की अपनी यात्रा को बीच में ही छोड़कर मंगलवार सुबह वाशिंगटन लौट आए।
इससे पहले एक आधिकारिक परामर्श में कहा गया था कि ट्रंप दोपहर एक बजे व्हाइट हाउस के कैबिनेट कक्ष में पाकिस्तानी सेना प्रमुख की दोपहर के भोजन पर मेजबानी करेंगे।
दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ फोन पर बातचीत के दौरान ट्रंप ने उनसे पूछा कि क्या वह कनाडा से लौटते समय अमेरिका में रुक सकते हैं।
इस बारे में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि प्रधानमंत्री ने ‘‘पूर्व निर्धारित व्यस्तताओं के कारण’’ ऐसा करने में अपनी असमर्थता व्यक्त की।
फोन पर बातचीत में मोदी ने ट्रंप से कहा कि अमेरिका की मध्यस्थता के बिना दोनों सेनाओं के बीच सीधी बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान ने पिछले महीने अपनी सैन्य गतिविधियां रोक दी थीं।
मिसरी ने कहा कि मोदी ने दृढ़ता से कहा कि भारत मध्यस्थता को ‘‘कभी स्वीकार नहीं करेगा’’ तथा सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच चर्चा इस्लामाबाद के अनुरोध पर शुरू की गई थी।
प्रधानमंत्री का यह बयान ट्रंप की ओर से लगातार किए गए इस दावे की पृष्ठभूमि में आया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम समझौते में मध्यस्थता की थी।
मुनीर को यह निमंत्रण अमेरिका द्वारा किसी सेवारत पाकिस्तानी सेना प्रमुख को दिया गया एक दुर्लभ संकेत माना जा रहा है। अयूब खान, जिया उल-हक और परवेज मुशर्रफ जैसे पाकिस्तानी सेना प्रमुखों को इस तरह के निमंत्रण मिलने के कई उदाहरण हैं, लेकिन वे राष्ट्रपति के पद पर भी थे।
भारत ने पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में पाकिस्तान और इसके अवैध कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाते हुए छह मई की देर रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था।
इसके बाद दोनों देशों के बीच चार दिन तक भीषण झड़पें हुईं, जो 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति के साथ समाप्त हुईं। नयी दिल्ली का कहना है कि उस दिन भारत के भीषण जवाबी हमले के कारण पाकिस्तान को शत्रुता समाप्त करने की गुहार लगानी पड़ी।
मुनीर को पिछले महीने पाकिस्तान सरकार ने फील्ड मार्शल रैंक पर पदोन्नत किया था और 1959 में अयूब खान के बाद सेना के किसी अधिकारी को पहली बार यह दर्जा दिया गया है।
खबर के मुताबिक, मुनीर ने अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान भारत से ‘‘क्षेत्रीय आधिपत्य थोपने का प्रयास’’ करने के बजाय पाकिस्तान के साथ ‘‘एक सभ्य राष्ट्र की तरह’’ व्यवहार करने का आग्रह किया।
उन्होंने सोमवार शाम को पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी समुदाय के सदस्यों को संबोधित करते हुए इस बात को खारिज कर दिया कि पहलगाम में आतंकवादी हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ था।
समाचार पत्र के अनुसार, मुनीर ने भारत पर ‘‘अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का उल्लंघन’’ कर खतरनाक ‘‘नया मानक’’ स्थापित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
मुनीर ने व्यापक क्षेत्रीय परिदृश्य पर समुदाय को संबोधित किया और इजराइल के साथ युद्ध में ईरान को पाकिस्तान के ‘‘स्पष्ट और मजबूत’’ समर्थन की घोषणा की।
उन्होंने हालात को काबू करने के लिए अमेरिका के प्रयासों का भी समर्थन किया।
मुनीर ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि यह युद्ध तुरंत समाप्त हो।’
भाषा योगेश रंजन
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