तिरुवनंतपुरम, 18 जून (भाषा) केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बुधवार को आपातकाल के दौरान मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के बीच किसी भी तरह के राजनीतिक सहयोग से इनकार किया और दक्षिणपंथी संगठन को एक ‘‘सांप्रदायिक ताकत’’ बताया।
विजयन ने आरोप लगाया कि दक्षिणपंथी संगठन ने मार्क्सवादी कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया था।
मीडिया को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कांग्रेस नेतृत्व पर भी तीखा हमला किया और अप्रत्यक्ष रूप से केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के पूर्व अध्यक्ष के सुधाकरन एवं विपक्ष के नेता वी डी सतीशन को निशाना बनाया।
उन्होंने विपक्षी पार्टी पर ‘‘राजनीतिक लाभ’’ के लिए अपने धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों से समझौता करने का आरोप लगाया।
नीलांबुर उपचुनाव के लिए बृहस्पतिवार को मतदान होगा और इस बीच इस निर्वाचन क्षेत्र में 1970 के दशक में माकपा और जनसंघ (भाजपा का पूर्व संगठन) के बीच कथित समझौते को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है।
कांग्रेस-यूडीएफ उम्मीदवार आर्यदान शौकत ने कहा कि इस तरह के और गठबंधन बनने की काफी संभावनाएं हैं, जबकि माकपा-एलडीएफ उम्मीदवार एम स्वराज ने कहा कि उस समय वामपंथियों ने जनसंघ के साथ नहीं, बल्कि जनता पार्टी के साथ सहयोग किया था।
उन्होंने कहा कि उस दौरान अलग-अलग विचारधारा वाले लोग जनता पार्टी का हिस्सा बन गए थे।
यहां पत्रकारों से बात करते हुए शौकत ने दावा किया कि कम्युनिस्ट पार्टी ने अतीत में खुले तौर पर स्वीकार किया था कि उसने 1967 में ही कम से कम तीन या चार राज्यों में आरएसएस से जुड़े जनसंघ के साथ गठबंधन किया था, जिसका उद्देश्य तत्कालीन कांग्रेस सरकार को सत्ता से हटाना था।
भाषा
सुरभि रंजन
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