नयी दिल्ली, 19 जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को तमिलनाडु सरकार से इस बारे में उसे अवगत कराने को कहा कि अपहरण के एक मामले में एडीजीपी एचएम जयराम के खिलाफ जांच विशेष शाखा या सीआईडी को स्थानांतरित की जा सकती है या नहीं।
इससे पहले तमिलनाडु ने कहा था कि वह चाहता है कि मामले में जांच पूरी होने तक एडीजीपी का निलंबन जारी रहे।
न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ को तमिलनाडु सरकार की ओर से पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने बताया कि अवर पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) जयराम का निलंबन अपहरण मामले में उच्च न्यायालय के 16 जून के आदेश के अनुरूप नहीं किया गया है और उनके खिलाफ अन्य आरोप भी हैं।
दवे ने कहा कि यह नियमों के तहत ही है कि जयराम को उनके खिलाफ आपराधिक मामले में जांच लंबित रहने तक निलंबित रखा जा सकता है।
दवे से पीठ ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समक्ष लंबित अपहरण मामले को उच्च न्यायालय के एक अन्य न्यायाधीश को स्थानांतरित करने पर विचार कर रही है।
पीठ ने तमिलनाडु सरकार की ओर से पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता दवे से इस बारे में निर्देश प्राप्त करने को कहा कि क्या एडीजीपी जयराम के खिलाफ जांच को आज विशेष शाखा या सीआईडी को स्थानांतरित किया जा सकता है। पीठ ने दवे से इस बारे में उसे सूचित करने को भी कहा।
शीर्ष अदालत ने बुधवार को तमिलनाडु सरकार से एडीजीपी जयराम के निलंबन पर सवाल पूछे थे, जिन्हें अपहरण के एक मामले में उच्च न्यायालय ने हिरासत में लेने का निर्देश दिया था।
उच्चतम न्यायालय की पीठ को राज्य सरकार के वकील ने बताया कि अधिकारी को हिरासत में लिया गया था और मंगलवार शाम 5 बजे रिहा कर दिया गया। पीठ को बताया गया कि उन्हें निलंबन में रखा गया है।
जयराम ने मद्रास उच्च न्यायालय के 16 जून के निर्देश के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। उच्च न्यायालय के निर्देश में पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करने के लिए कहा गया था।
उच्च न्यायालय ने मौखिक रूप से तमिलनाडु पुलिस को अपहरण के एक मामले में जयराम को हिरासत में लेने का निर्देश दिया था, जिसमें 5 अप्रैल को एक लड़की एक लड़के के साथ भाग गई थी।
भाषा वैभव मनीषा
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