तिरुवनंतपुरम, 19 जून (भाषा) कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने बृहस्पतिवार को केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के इस दावे को खारिज किया कि आपातकाल के दौरान मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ सहयोग नहीं किया था।
वेणुगोपाल ने माकपा के पहले महासचिव पी सुंदरैया के अपने पद से इस्तीफा देने की घटना का हवाला देते हुए कहा, ‘‘इतिहास को नजरअंदाज करने से वह मिट नहीं जाएगा।’’
वेणुगोपाल ने ‘फेसबुक’ पोस्ट में कहा कि अपने त्यागपत्र में सुंदरैया ने पार्टी पदों से इस्तीफा देने के कारणों को सूचीबद्ध किया था, जिसमें आपातकाल का मुकाबला करने की आड़ में पार्टी का ‘साम्राज्यवाद समर्थक’ जनसंघ और ‘फासीवादी’ आरएसएस के साथ गठबंधन शामिल था।
वेणुगोपाल ने पत्र का हवाला देते हुए कहा कि सुंदरैया ने उस वक्त कहा था कि इस गठबंधन से पार्टी देश और विदेश में लोकतांत्रिक समाजों में साम्राज्यवाद-विरोधी और समाजवादी ताकतों से अलग-थलग पड़ जाएगी।
उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री आरएसएस के साथ पार्टी के पिछले सहयोग को छिपाने के प्रयास में आरएसएस विरोधी मुखौटा लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि विजयन खुद 1977 में पहली बार आरएसएस के समर्थन से विधानसभा में पहुंचे थे। उन्होंने मुख्यमंत्री को 1989 में वी.पी. सिंह सरकार को माकपा और भाजपा द्वारा दिए गए संयुक्त समर्थन की भी याद दिलाई।
वेणुगोपाल ने यह भी आरोप लगाया कि केरल में 2021 के विधानसभा चुनावों में माकपा को भाजपा का मौन समर्थन था।
माकपा-आरएसएस सहयोग पर विवाद एक साक्षात्कार के दौरान माकपा के राज्य सचिव एम.वी. गोविंदन की टिप्पणी से शुरू हुआ जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी ने आपातकाल के खिलाफ लड़ाई में आरएसएस के साथ सहयोग किया था।
हालांकि, गोविंदन ने बाद में अपने बयान पर सफाई थी, लेकिन कांग्रेस नेताओं ने इसे भुनाया और नेता प्रतिपक्ष वी.डी. सतीशन ने इसे नीलांबुर विधानसभा उपचुनाव में आरएसएस से माकपा उम्मीदवार के पक्ष में वोट डालने का ‘‘खुला अनुरोध’’ करार दिया।
बुधवार को बाद में एक संवाददाता सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने इस बात से इनकार किया कि आरएसएस के साथ कभी भी कोई राजनीतिक सहयोग हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘आरएसएस एक सांप्रदायिक ताकत है जिसने हमेशा माकपा कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया है।’’
भाषा खारी नरेश
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