चेन्नई, 19 जून (भाषा) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि राज्य के शिवगंगा जिले में कीझाड़ी के प्राचीन उत्खनन स्थल के निष्कर्षों को स्वीकार न करने और अंतिम रिपोर्ट को नजरअंदाज करने की भाजपा सरकार की कोशिश दिखाती है कि तमिल गौरव से उसे कितनी नफरत है।
उन्होंने दावा किया कि वैज्ञानिक परिणामों से समर्थित सभी अध्ययनों के बावजूद, केंद्र सरकार कीझाड़ी उत्खनन रिपोर्ट के प्रकाशन में देरी करके तमिलों के सांस्कृतिक गौरव को छिपाने की कोशिश कर रही है और अंतिम रिपोर्ट जमा होने के दो साल बाद भी अतिरिक्त सबूत पेश करने में विफल रही है।
स्टालिन ने पार्टी कार्यकर्ताओं को लिखे पत्र में कहा, ‘यह तमिल संस्कृति और गौरव पर भाजपा सरकार का एक स्पष्ट हमला है।’
मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा काल्पनिक सरस्वती सभ्यता को बढ़ावा देकर द्रविड़ संस्कृति के प्रतीक को नष्ट करना चाहती है। सरस्वती सभ्यता के लिए विश्वसनीय साक्ष्यों का अभाव है, जबकि तमिल संस्कृति की सिद्ध प्राचीनता को खारिज कर दिया गया है।
विश्व स्तरीय वैज्ञानिक कीझाडी से प्राप्त कलाकृतियों पर शोध कर रहे हैं।
स्टालिन ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया है। तमिल गौरव के प्रति इस पार्टी की नीतियों में कितनी नफरत भरी हुई है।’
भाजपा सरकार ने पुरातत्व खुदाई करने वाले निदेशक अमरनाथ रामकृष्ण को असम स्थानांतरित करके तमिल संस्कृति के प्रति अपनी नफरत को स्पष्ट रूप से दर्शाया है।
रामकृष्ण ने कीझाड़ी उत्खनन पर 2016 में प्रारंभिक रिपोर्ट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को सौंपी थी और कानूनी लड़ाई के बाद उन्होंने काम फिर से शुरू किया था।
स्टालिन ने कहा, ‘कीझाडी उत्खनन से यह स्पष्ट है कि तमिलों की वैगई नदी सभ्यता लगभग 2,500 से 3,000 वर्ष पुरानी है। यह केवल वैचारिक जानकारी नहीं है।’
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जोहेब नरेश
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