नयी दिल्ली, 19 जून (भाषा) विषाणु विज्ञान संबंधी अनुसंधान के लिए हाई परफॉरमेंस कंप्यूटिंग क्लस्टर ‘नक्षत्र’ जटिल जीनोम डेटा का तेजी से विश्लेषण करने में सक्षम होगा और नए रोगों के खतरों का जल्द पता लगाने के साथ ही बीमारियों के प्रकोप पर कुशल प्रतिक्रिया में सक्षम होगा। राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ नवीन कुमार ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
कुमार ने कहा कि नक्षत्र का उद्देश्य जीनोमिक और जैव सूचना विज्ञान डेटा को संसाधित करने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव करना और पारंपरिक कंप्यूटिंग अवसंरचना के कारण कोविड-19 महामारी के दौरान सामने आने वाली अड़चनों पर ध्यान देना है।
प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के तहत विकसित, उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) केंद्र ‘हाई परफॉरमेंस कंप्यूटिंग नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग (एनजीएस) हब’ नामक नई परियोजना की आधारशिला है।
कंप्यूटिंग क्लस्टर का उद्घाटन पिछले महीने स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ राजीव बहल ने किया था।
डॉ कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि एचपीसी क्लस्टर रोगों के प्रकोप पर त्वरित, डेटा आधारित प्रतिक्रियाओं का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
डॉ. कुमार ने कहा, ‘‘इन दिनों कोविड के नए स्वरूप, विषाणु (वायरस) या रोगजनक सामने आ रहे हैं। पहले, सीमित संसाधनों के कारण लाखों जीनोम अनुक्रम का विश्लेषण करने में बहुत समय लगता था। कई स्वरूपों का व्यापक अनुक्रम विश्लेषण करने में महीनों लग जाते थे। अब हम वही काम 24-48 घंटों में कर सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि इसने जीनोमिक निगरानी के लिए हमारे देश की क्षमता को बढ़ाया है, जो हमें महामारी की तैयारी में मदद करेगा।
डॉ. कुमार ने कहा कि नक्षत्र एचपीसी सुविधा का चालू होना केवल एक तकनीकी उन्नयन नहीं है, बल्कि यह गति, सटीकता और तैयारी में एक राष्ट्रीय निवेश है।
बायोइन्फॉर्मेटिक्स और डेटा मैनेजमेंट ग्रुप की ग्रुप लीडर और परियोजना की प्रमुख अन्वेषक डॉ. सारा चेरियन ने क्लस्टर की क्षमताओं और जीनोमिक शोध में इसकी भूमिका पर रोशनी डाली।
उन्होंने कहा कि नए एचपीसी क्लस्टर में 12 कंप्यूट नोड्स हैं, जो कुल 700 कोर और 1 पेटाबाइट स्टोरेज प्रदान करते हैं।
भाषा वैभव मनीषा
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