बेंगलुरु, 19 जून (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को केंद्रीय मंत्री एच डी कुमारस्वामी को अंतरिम राहत देते हुए रामनगर जिले के केथागनहल्ली गांव में कथित भूमि अतिक्रमण की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच पर अस्थायी रोक लगा दी।
राज्य सरकार ने जनवरी 2025 में कुमारस्वामी पर अवैध भूमि कब्जे में संलिप्तता के आरोपों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था।
जांच की वैधता को चुनौती देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने उच्च न्यायालय का रुख किया था।
बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति ई.एस. इंद्रेश ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि एसआईटी गठित किये जाने के सरकारी आदेश के साथ कोई आधिकारिक अधिसूचना नहीं थी।
इस चूक को ध्यान में रखते हुए अदालत ने मामले की अगली सुनवाई तक एसआईटी के गठन और कुमारस्वामी को जारी समन पर रोक लगा दी।
उच्च न्यायालय ने सरकारी वकील को भी याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया।
वरिष्ठ अधिवक्ता उदय होला और अधिवक्ता निशांत ए.वी. ने अदालत में कुमारस्वामी का प्रतिनिधित्व किया।
अदालत के इस आदेश को जनता दल (सेक्युलर) नेता के लिए एक राहत के तौर पर देखा जा रहा है, जिन्होंने एसआईटी कार्रवाई के पीछे राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाया है।
कुमारस्वामी का कहना है कि विवादित भूमि 1984 में उनके द्वारा वैधानिक रूप से हासिल की गई थी और वह मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर उनके खिलाफ लक्षित अभियान चलाने का लंबे समय से आरोप लगाते रहे हैं।
रामनगर में चल रहे भूमि सर्वेक्षण की आलोचना करते हुए कुमारस्वामी ने इसे राजनीति से प्रेरित कदम बताया।
उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, ‘‘पहले एसआईटी का नेतृत्व आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी करते थे। अब आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी भी उनका नेतृत्व कर रहे हैं।’’
कुमारस्वामी ने शिकायतों की वैधता पर भी सवाल उठाया और दावा किया कि उनके पास अवैध भूमि सौदों में दूसरों को फंसा सकने वाले सबूत हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने सिद्धरमैया की तरह सरकारी जमीन नहीं हड़पी है। उन्हें जांच करने दीजिए। मेरे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है।’’
भाषा सुभाष माधव
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