नयी दिल्ली, 19 जून (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को धोखाधड़ी के एक मामले में भगोड़ा घोषित एक व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में कोई असाधारण परिस्थिति नहीं है।
न्यायमूर्ति रविन्द्र डुडेजा आरोपी जगदीश दास की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिस पर दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने धोखाधड़ी, आपराधिक षडयंत्र और बैंकर, व्यापारी, एजेंट आदि के खिलाफ आपराधिक विश्वासघात के आरोप में मामला दर्ज किया था।
किसी व्यक्ति को घोषित अपराधी तब घोषित किया जाता है जब उसके विरुद्ध सार्वजनिक नोटिस जारी होने के बावजूद वह अदालत में उपस्थित नहीं हो।
आदेश में कहा गया है, ‘‘स्थिति रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि याचिकाकर्ता (दास) लगातार सुनवाई अदालत के आदेशों की अवज्ञा कर रहा है, क्योंकि वह जांच में शामिल होने में विफल रहा और गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) और प्रक्रिया जारी होने के बाद भी अदालत में पेश नहीं हुआ, जो उसके द्वारा लगातार अवज्ञा को दर्शाता है।’’
कानून और न्यायिक नजीरों का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि घोषित अपराधी को अग्रिम जमानत तब तक नहीं दी जा सकती जब तक कि असाधारण परिस्थितियां न हों।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘मौजूदा मामला कोई अपवाद या असाधारण मामला नहीं है, जहां अदालत की इस विवेकाधीन शक्ति का इस्तेमाल किया जा सके। समग्र परिस्थितियों के मद्देनजर, याचिकाकर्ता गिरफ्तारी-पूर्व या अग्रिम जमानत का लाभ लेने का हकदार नहीं है।’’
भाषा धीरज अविनाश
अविनाश