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Friday, June 20, 2025

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बनभूलपुरा दंगा पीड़ित की मौत के मामले में एसआईटी जांच के आदेश दिए

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नैनीताल, 19 जून (भाषा) नैनीताल जिले के हल्द्वानी शहर में फरवरी 2024 में भड़के दंगे के दौरान गोली लगने से मारे गए फहीम की मौत के मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) से तफ्तीश के आदेश दिए हैं।

मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने इस मामले के जांच अधिकारी रहे नीरज भाकुनी द्वारा दोषपूर्ण जांच करने के लिए उनका जिले से बाहर तबादला किए जाने के भी आदेश दिए।

अदालत ने फहीम की मौत की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराए जाने की प्रार्थना करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिए ।

फहीम के भाई परवेज द्वारा दायर जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत द्वारा इस संबंध में आदेश दिए जाने के बावजूद मामले में कोई जांच नहीं की गयी ।

नैनीताल के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने छह मई 2024 को पुलिस को अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने, उसकी जांच करने तथा अदालत में इस संबंध में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था ।

उच्च न्यायालय में दायर याचिका में याचिकाकर्ता ने घटना की सीबीआई जांच तथा परिवार को सुरक्षा देने की प्रार्थना की थी ।

फहीम की आठ फरवरी 2024 को बनभूलपुरा हिंसा के दौरान गोली लगने से मौत हो गई थी ।

याचिका में कहा गया है कि पुलिस और प्रशासन से बार-बार शिकायत करने के बावजूद मामले में न तो कोई जांच की गयी और न ही प्राथमिकी दर्ज की गयी ।

याचिका के अनुसार, फहीम की मौत दंगे का परिणाम नहीं थी बल्कि अज्ञात लोगों द्वारा गोली मारे जाने के कारण उसकी जान गयी थी।

पिछली सुनवाई में उच्च न्यायालय ने मामले में जांच करने के तरीके पर भी कड़ी टिप्पणी की थी ।

पुलिस रिपोर्ट को ‘चौंकाने वाली’ बताते हुए अदालत ने कहा था कि देश में अपनी तरह की यह अनोखी और संभवत: अकेली जांच रिपोर्ट होगी जिसमें जांच अधिकारी ने ‘बैलिस्टिक’ विशेषज्ञ, बचाव पक्ष के वकील और न्यायाधीश के तौर पर काम किया ।

अदालत ने यह भी कहा कि जांच अधिकारी ने स्वयं ही अंतिम रिपोर्ट लगा दी और अपने द्वारा जांच किए गए मामले की किस्मत तय कर दी ।

अदालत ने यह भी कहा था कि यह ‘देश का अकेला मामला’ है जहां जांच अधिकारी ने प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों की अनदेखी की जिन्होंने स्वयं हथियारबंद बदमाशों को देखा था और अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने के लिए गैर प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों पर भरोसा किया ।

उच्च न्यायालय ने उसके बाद मामले की कड़ी निगरानी करने का फैसला किया।

भाषा दीप्ति नोमान

नोमान

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