नयी दिल्ली, 19 जून (भाषा) दिल्ली में 2020 में हुए दंगों से संबंधित गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश एक जुलाई से आतंकवाद के मामले की सुनवाई के लिए वापस आएंगे, जिन्हें मई में दूसरी अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 18 जून को एक स्थानांतरण आदेश पारित किया, जिसमें अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) समीर बाजपेयी को शाहदरा जिले में फरवरी 2020 के दंगों की ‘‘बड़ी साजिश’’ से जुड़े मामले की सुनवाई के लिए नामित विशेष अदालत में लौटने को कहा गया।
उच्च न्यायालय ने 30 मई को कई न्यायाधीशों का तबादला कर दिया था और बाजपेयी को शाहदरा जिले से साकेत जिले में फास्ट ट्रैक अदालत का प्रभारी नियुक्त किया गया था।
दो जून को बाजपेयी का स्थान लेने वाले अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ललित कुमार ने कहा कि अभियोजन पक्ष और पांच आरोपियों ने दिल्ली दंगा यूएपीए मामले में आरोपों पर अपनी बहस पूरी कर ली है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कुमार ने कहा, ‘‘काफी समय पहले ही बीत चुका है और इसलिए आरोप के मुद्दे पर बहस में तेजी लानी होगी।’’
उन्होंने सभी अभियोजकों और अभियुक्तों के अधिवक्ताओं को निर्देश दिया कि वे ‘‘समयसीमा और जिस तरीके से वे दलीलें पेश करेंगे, विशेष रूप से उनके द्वारा लिया जाने वाला समय/घण्टे के संबंध में अपना विवरण प्रस्तुत करें।’’
छह जून को यह बताया गया कि वर्तमान मामले की कार्यवाही में काफी समय लगेगा क्योंकि आरोपपत्र 17,000 पृष्ठों से अधिक का है।
इसके बाद, अभियोजन पक्ष और आरोपी व्यक्तियों के वकील की इस दलील से न्यायाधीश सहमत हो गए कि आरोपों पर बहस ग्रीष्मावकाश के बाद दो जुलाई से जारी रहनी चाहिए।
शरजील इमाम, खालिद सैफी और आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन सहित 20 लोगों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत फरवरी 2020 के सांप्रदायिक दंगों के ‘‘मुख्य साजिशकर्ता’’ होने का मामला दर्ज किया गया है। इन दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे।
भाषा नेत्रपाल अविनाश
अविनाश