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Friday, June 20, 2025

भारत माता के चित्र को लेकर विवाद: केरल राजभवन और राज्य सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप

Newsभारत माता के चित्र को लेकर विवाद: केरल राजभवन और राज्य सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप

तिरुवनंतपुरम, 19 जून (भाषा) केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर और राज्य की वाम मोर्चा सरकार के बीच तकरार बृहस्पतिवार को उस वक्त बढ़ गई, जब सामान्य शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी राजभवन के एक कार्यक्रम में भारत माता का चित्र लगाए जाने के विरोध में वहां से चले गए।

भारत माता के चित्र का उपयोग अक्सर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रमों में किया जाता है।

राजभवन ने स्कूली छात्रों को ‘स्काउट एंड गाइड’ प्रमाण पत्र वितरित करने के लिए आयोजित कार्यक्रम से बाहर चले जाने को लेकर मंत्री वी. शिवनकुट्टी की कड़ी आलोचना की।

मंच पर आर्लेकर की मौजूदगी के दौरान कार्यक्रम से मंत्री के चले जाने को राजभवन ने ‘‘प्रोटोकॉल का गंभीर उल्लंघन और राज्यपाल के संवैधानिक पद का घोर अपमान’’ करार दिया।

राजभवन की आलोचना का सामना कर रहे मंत्री ने राज्यपाल पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि आर्लेकर ने अपने आवास पर आयोजित एक आधिकारिक कार्यक्रम को राजनीतिक कार्यक्रम में बदलकर संविधान का उल्लंघन किया है।

आधिकारिक कार्यक्रमों में भगवा वस्त्र वाले चित्र के इस्तेमाल को लेकर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन नीत एलडीएफ सरकार द्वारा बढ़ती आलोचना के बीच, राज्यपाल ने दृढ़ता से कहा, ‘‘भारत माता को दरकिनार करने का कोई सवाल ही नहीं है, क्योंकि हम देशभक्ति और राष्ट्रवाद की अपनी अवधारणा भारत माता से प्राप्त करते हैं।’’

यह नया घटनाक्रम राजभवन में भारत माता का चित्र प्रदर्शित करने को लेकर एक अन्य मंत्री द्वारा किये गए बहिष्कार के तुरंत बाद हुआ है।

हाल ही में, राज्य के कृषि मंत्री पी प्रसाद ने राजभवन में आयोजित पर्यावरण दिवस कार्यक्रम का बहिष्कार किया था, जिसमें भगवा वस्त्र में भारत माता का चित्र लगाया गया था।

मुख्यमंत्री विजयन ने टिप्पणी की कि राज्यपाल के पद का इस्तेमाल आरएसएस के वैचारिक एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

स्कूली बच्चों के लिए आयोजित ‘स्काउट एंड गाइड’ प्रमाण पत्र वितरण कार्यक्रम में हुई घटना का ब्यौरा देते हुए शिवनकुट्टी ने कहा कि जब वह मुख्यमंत्री के साथ एक अन्य कार्यक्रम में भाग लेने के बाद राजभवन पहुंचे तो उन्होंने मंच पर भगवा ध्वज के साथ भारत माता का चित्र देखा तथा उसके सामने पुष्पांजलि अर्पित की जा रही थी और दीप प्रज्वलित किये जा रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘कार्यक्रम में जो कुछ हुआ, वह अहंकार को दर्शाता है।’’

शिवनकुट्टी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि जैसे ही कार्यक्रम शुरू हुआ और उन्हें अध्यक्षीय भाषण देने के लिए आमंत्रित किया गया, उन्होंने आधिकारिक सरकारी कार्यक्रम में इस चित्र के प्रदर्शन का कड़ा विरोध किया और वहां से चले गए।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने भाषण के दौरान राज्यपाल को बताया कि यह राज्य सरकार का कार्यक्रम है जिसे राजभवन और राज्य प्रशासन मिलकर आयोजित कर रहे हैं। यहां प्रदर्शित भारत माता का चित्र एक राजनीतिक संगठन का है। इसके समक्ष दीप प्रज्वलित करना सही नहीं है, क्योंकि यह एक सरकारी कार्यक्रम है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसका कड़ा विरोध करता हूं। इस पर, केरल सरकार का रुख मुख्यमंत्री ने एक दिन पहले ही बता दिया है। अगर महात्मा गांधी या प्रधानमंत्री की तस्वीर लगाई जाती तो यह प्रतिष्ठा की बात होती। इसके बजाय, राजभवन को राजनीतिक केंद्र में बदल दिया गया है।’’

शिवनकुट्टी ने कहा कि अपना विरोध जताने के बाद वह कार्यक्रम से चले गए।

राजभवन ने शिवनकुट्टी के इस कदम की कड़ी निंदा करते हुए एक बयान जारी किया। इसमें कहा गया कि राज्यपाल राज्य के संवैधानिक प्रमुख के रूप में, निर्वाचित प्रतिनिधियों, विशेष रूप से मंत्रियों से सर्वोच्च सम्मान पाने के हकदार हैं, जिन्हें राज्यपाल द्वारा संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ दिलाई जाती है।

बयान में कहा गया, ‘‘राज्यपाल की मौजूदगी के दौरान, राज्य के शिक्षा एवं श्रम मंत्री वी. शिवनकुट्टी का आज सुबह मंच से चले जाना प्रोटोकॉल का गंभीर उल्लंघन है तथा राज्यपाल के पद का घोर अपमान है।’’

राजभवन के अनुसार, मंत्री राज्यपाल को सूचित किये बिना मंच से चले गए।

बयान में कहा गया है, ‘‘राज्यपाल द्वारा संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेने वाले मंत्री ने इस सार्वजनिक दुर्व्यवहार से राज्यपाल के पद के अलावा राज्यपाल का व्यक्तिगत रूप से अपमान किया है। मंत्री ने राज्यपाल को अपने अचानक जाने की सूचना देने की भी जहमत नहीं उठाई।’’

राजभवन ने कहा कि मंत्री के कार्यों से न केवल राज्यपाल का अपमान हुआ है, बल्कि उपस्थित छात्रों में भी इसका गलत संदेश गया है।

आर्लेकर पर पलटवार करते हुए मंत्री शिवनकुट्टी ने कहा कि सरकारी कार्यक्रम के दौरान इस तरह के चित्र का इस्तेमाल करने की अनुमति देकर राज्यपाल ने संविधान का अपमान किया है।

शिवनकुट्टी ने एक बयान में कहा, ‘‘राज्यपाल ने ही छात्रों के सामने खुद को शर्मिंदा किया है। राज्य के संवैधानिक प्रमुख के तौर पर उन्हें कभी भी इस तरह का काम नहीं करना चाहिए था।’’

उन्होंने भारत माता की अवधारणा पर भी सवाल उठाते हुए पूछा, ‘‘क्या संविधान में कहीं भी इसका उल्लेख है?’’

शिवनकुट्टी ने मीडिया से बात करते हुए यह भी दावा किया कि कार्यक्रम में चित्र प्रदर्शित किया जाना कहीं से भी पूर्व निर्धारित नहीं था।

उन्होंने कहा, ‘‘हम राजभवन को आरएसएस का केंद्र बनाने की अनुमति नहीं दे सकते। मौजूदा राज्यपाल ने ऐसा राजनीतिक रुख अपनाया है जो पूर्व राज्यपालों के रुख से भी कहीं ज्यादा खराब है।’’

इस बीच, विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने कहा कि अगर सरकार ने पहली घटना के तुरंत बाद ही अपना कड़ा विरोध जताया होता, तो ‘‘यह फिर से नहीं दोहराया जाता।’’

उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री ने घटना पर बहुत देर से प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।

भाषा सुभाष माधव

माधव

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