जयपुर, 19 जून (भाषा) केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बृहस्पतिवार को कहा कि शिक्षा न केवल व्यक्तिगत जीवन को उन्नत करती है बल्कि राष्ट्र को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाती है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा का स्वभाव ही निरंतरता है।
वह अजमेर जिले में स्थित राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे जिसमें 2024 और 2025 बैच के विद्यार्थियों को उपाधि तथा स्वर्ण पदक प्रदान किये गए ।
प्रधान ने कहा कि शिक्षा का स्वभाव ही निरंतरता है- यह दीक्षांत नहीं, बल्कि आजीवन सीखने (लाइफलॉंग लर्निंग) की यात्रा का एक पड़ाव है।
मंत्री ने कहा कि यह अवसर विद्यार्थियों के लिए केवल शैक्षणिक उपलब्धि नहीं, बल्कि जीवन के उत्तरदायित्व और राष्ट्रनिर्माण के प्रति प्रतिबद्धता का स्मरण भी है।
उन्होंने कहा कि आज भारत एक सामूहिक संकल्प के साथ विश्व के अग्रणी राष्ट्रों की श्रेणी में स्थान बनाने की ओर अग्रसर है।
प्रधान ने कहा,“शिक्षा वह माध्यम है, जो न केवल व्यक्तिगत जीवन को उन्नत करती है, बल्कि राष्ट्र को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाती है। इसी दृष्टि से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत बहुविषयक, कौशल आधारित और रोजगारोन्मुख शिक्षा प्रणाली को प्रोत्साहित किया जा रहा है।”
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही, वैश्विक शिक्षा सहयोग को सशक्त करने के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में परिसर स्थापित करने की अनुमति दी गई है और अब तक आठ विश्वविद्यालयों की स्थापना भी हो चुकी है।
आधिकारिक बयान के अनुसार, उन्होंने कहा “आज जब भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में सशक्त हुआ है, तब यह आवश्यक है कि युवा पीढ़ी के नवाचार, कौशल और नेतृत्व क्षमता के साथ हम 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करें।”
उन्होंने कहा- ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के आदर्श के अनुरूप, 140 करोड़ भारतीयों के हित के साथ-साथ वैश्विक मानवता के लिए भी भारत समाधान प्रदाता राष्ट्र बने -“यही हम सभी का दायित्व और संकल्प है।”
इस अवसर पर कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी भी मौजूद थे।
कुलपति प्रो. आनंद भालेराव ने विश्वविद्यालय की नई उपलब्धियों की जानकारी दी। इस वर्ष दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के कुल 1770 विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों में स्नातक एवं स्नातकोत्तर तथा पीएच.डी. की उपाधि प्रदान की गई।
भाषा पृथ्वी नोमान
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