जगरेब, 19 जून (भाषा) सभी तरह के आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ की निंदा करते हुए भारत और क्रोएशिया ने आतंकवाद के वित्तपोषण नेटवर्क को ध्वस्त करने, सुरक्षित पनाहगाहों को समाप्त करने और दोषियों को शीघ्र न्याय के दायरे में लाने का आह्वान किया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की क्रोएशिया यात्रा के एक दिन बाद 18 जून को जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि इससे द्विपक्षीय साझेदारी में एक नयी गति आई है। इसमें दोनों अर्थव्यवस्थाओं की पूरकता पर प्रकाश डाला गया, विशेष रूप से पर्यटन, व्यापार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में।
बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने पश्चिम एशिया में सुरक्षा स्थिति के बिगड़ने पर भी चिंता व्यक्त की तथा इजराइल और ईरान के बीच तनाव कम करने का आह्वान किया।
यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की इस बाल्कन राष्ट्र की पहली यात्रा थी, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय आदान-प्रदान की बढ़ती गति को मजबूत करना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद दिए गए समर्थन और एकजुटता के लिए प्रधानमंत्री आंद्रेज प्लेंकोविक और क्रोएशिया का धन्यवाद व्यक्त किया।
विदेश मंत्रालय द्वारा जारी संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘दोनों पक्षों ने सभी तरह के आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ की निंदा की, जिसमें अंतरराष्ट्रीय और सीमा पार आतंकवाद भी शामिल है। उन्होंने आतंकवाद के प्रति ‘कतई बर्दाश्त नहीं’ के अपने दृष्टिकोण को दोहराया और कहा कि किसी भी परिस्थिति में ऐसे कृत्यों को उचित नहीं कहा जा सकता।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को ‘‘जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए’’। बयान में आतंकवादियों को परोक्ष रूप में इस्तेमाल करने की निंदा की गई।
बयान के अनुसार, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद रोधी रणनीति, इस क्षेत्र में प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संधियों और प्रोटोकॉल तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों के पूर्ण कार्यान्वयन का समर्थन करने की अपनी सतत स्थिति व्यक्त की।
इसमें कहा गया, ‘‘उन्होंने संयुक्त राष्ट्र, एफएटीएफ और क्षेत्रीय तंत्रों के माध्यम से आतंकवाद के वित्तपोषण नेटवर्क को ध्वस्त करने, आतंकी पनाहगाहों को समाप्त करने, आतंकवादी बुनियादी ढांचे को नष्ट करने और आतंकवाद में शामिल अपराधियों को शीघ्र न्याय के कठघरे में लाने का आह्वान किया।’’
दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ द्वारा नामित सभी आतंकवादियों और आतंकी संगठनों, संबद्ध प्ररोक्ष समूहों, सुविधा प्रदाताओं और आतंकवाद के प्रायोजकों के विरुद्ध ठोस कार्रवाई करने का आग्रह किया, जिनमें 1267 संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समितिकी सूची में शामिल आतंकवादी भी शामिल हैं।
संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि दोनों नेताओं ने भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईईसी) पहल सहित कनेक्टिविटी में सुधार के महत्व को रेखांकित किया।
बयान के अनुसार, दोनों देशों की लंबी समुद्री परंपराओं को देखते हुए वे बंदरगाहों और नौवहन क्षेत्रों में ‘‘सहयोग बढ़ाने’’ पर सहमत हुए।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने यूक्रेन में युद्ध सहित आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
इसमें कहा गया, ‘‘उन्होंने संयुक्त राष्ट्र प्रणाली, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया, जिसमें स्थायी और अस्थायी दोनों श्रेणियों में विस्तार शामिल है, ताकि इसे अधिक समावेशी, पारदर्शी, प्रभावी, जवाबदेह, कुशल और समकालीन भू-राजनीतिक वास्तविकताओं के साथ बेहतर ढंग से संरेखित किया जा सके।’’
दोनों प्रधानमंत्रियों ने यात्रा के परिणामों पर संतोष व्यक्त किया और भारत तथा क्रोएशिया के बीच ‘‘साझेदारी बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि की’’।
भाषा नेत्रपाल माधव
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