नयी दिल्ली, 19 जून (भाषा) रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीएपी) 2020 की व्यापक समीक्षा के मद्देनजर सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करने के लिए महानिदेशक (खरीद) की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है, ताकि इसे सरकार की मौजूदा नीतियों और पहल के साथ ‘‘संरेखित’’ किया जा सके।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस समीक्षा का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समय पर ‘‘सशस्त्र बलों की अभियानगत आवश्यकताओं और आधुनिकीकरण’’ को पूरा करना है।
मंत्रालय ने कहा कि इसके अलावा, इसका उद्देश्य केंद्र की नीतियों और पहलों के साथ खरीद प्रक्रियाओं को संरेखित करना भी है ताकि क्षेत्र में ‘‘आत्मनिर्भरता’’ हासिल की जा सके और ‘मेक इन इंडिया’ को सक्षम बनाया जा सके।
मंत्रालय ने सितंबर 2020 में एक बयान में कहा था कि डीएपी 2020 को सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण और ‘मेक इन इंडिया’ पहल के माध्यम से भारतीय घरेलू उद्योग को सशक्त बनाने के साथ जोड़ा गया है, जिसका ‘‘अंतिम उद्देश्य भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र में तब्दील करना’’ है।
इसने बृहस्पतिवार को कहा कि 2025 को ‘सुधारों का वर्ष’ घोषित करने के बाद मंत्रालय ने डीएपी 2020 की ‘‘व्यापक समीक्षा’’ शुरू की है ताकि इसे ‘‘भारत सरकार की मौजूदा नीतियों और पहलों के साथ संरेखित किया जा सके’’।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करने के लिए महानिदेशक (खरीद) की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है। समिति में रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, रक्षा उद्योग और शिक्षा जगत के प्रतिनिधि शामिल हैं।’’
इसने पूर्व नौकरशाह अपूर्व चंद्रा (1980 बैच) को ‘‘समिति का प्रधान सलाहकार’’ नियुक्त किया है, जो पूर्व में महानिदेशक (खरीद) के रूप में कार्य कर चुके हैं।
मंत्रालय ने कहा कि समिति ने पहले ही विचार-विमर्श शुरू कर दिया है और पांच जुलाई तक हितधारकों से सुझाव आमंत्रित किए हैं।
भाषा नेत्रपाल माधव
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