प्रयागराज, 19 जून (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कानपुर नगर के चौबेपुर थाना के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक और बिकरू नरसंहार मामले में आरोपी विनय कुमार तिवारी को जमानत दे दी।
विनय कुमार पर गैंगस्टर विकास दूबे को पुलिस की छापेमारी की सूचना देने का आरोप है, जिसके परिणामस्वरूप तीन जुलाई, 2020 को दूबे और उसके गिरोह द्वारा घात लगाकर किये गये हमले में आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गयी थी।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने विनय कुमार तिवारी को जमानत देते हुए 16 जून को अपने आदेश में कहा, “संबंधित पक्षों की दलीलें सुनी, मुकदमे के निष्कर्ष के संबंध में अनिश्चितता को देखते हुए याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाए।”
याचिकाकर्ता के वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि उनका मुवक्किल आठ जुलाई, 2020 से जेल में बंद है।
वकील ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने 30 सितंबर, 2020 को आरोप पत्र दाखिल करने के बाद एक मार्च, 2023 को मुकदमा शुरू करने में ढाई साल से अधिक का समय लगा दिया।
उन्होंने कहा कि अधीनस्थ न्यायालय के समक्ष अभियोजन पक्ष की ओर से 102 लोगों को गवाही हो चुकी है और करीब 13 लोगों से जिरह की गई है।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि आरोपी ने मुख्य आरोपी विकास दूबे को पुलिस की छापेमारी के बारे में सूचित किया, इसे साबित करने के लिए जांच अधिकारी द्वारा कोई विश्वसनीय साक्ष्य संकलित नहीं किया गया और कई सह आरोपियों को जमानत पर रिहा किया जा चुका है।
राज्य सरकार के वकील ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता और सह आरोपी केके शर्मा ने विकास दूबे के साथ मिलकर षड़यंत्र रचा, जिससे यह घटना घटी और आठ पुलिसकर्मी मारे गए।
उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से 102 में से 14 गवाहों की गवाही हो चुकी है और यह मुकदमा जल्द ही खत्म होगा।
सरकारी वकील ने दलील दी कि सह आरोपी केके शर्मा की पांचवी जमानत याचिका भी इस अदालत द्वारा 12 मई, 2025 को खारिज की जा चुकी है।
गैंगस्टर विकास दूबे की गिरफ्तारी के लिए तीन जुलाई, 2020 को गये पुलिस दल पर हुए हमले में जान गंवाने वाले पुलिसकर्मियों में पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र मिश्रा और सात अन्य अधिकारी शामिल थे।
इस घटना के बाद दूबे को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया था।
भाषा राजेंद्र जितेंद्र
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