मुंबई, 19 जून (भाषा) शिवसेना (उबाठा) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बृहस्पतिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर उनके चचेरे भाई राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के साथ गठबंधन की संभावना को खत्म करने की कोशिश करने का आरोप लगाया, जबकि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हिंदुत्व को ‘‘त्यागने’’ पर ठाकरे पर निशाना साधा।
उद्धव ने हिंदी फिल्म ‘प्रहार’ का एक संवाद बोलते हुए ‘‘गद्दारों’’ को चुनौती दी।
उद्धव, शिंदे के नेतृत्व वाले समूह को ‘‘गद्दार’’ कहते हैं, जो तीन वर्ष पहले उन्हें छोड़कर राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो गया था।
उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे दोनों ने ही 1966 में बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना के 59वें स्थापना दिवस का जश्न मनाने के लिए मुंबई में अपनी पार्टियों की रैलियों को संबोधित किया।
शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना का कार्यक्रम वर्ली के एनएससीआई डोम में आयोजित किया गया, जबकि शिवसेना (उबाठा) की रैली सायन क्षेत्र के षणमुखानंद हॉल में हुई।
उन्होंने कहा, “लोग जो चाहते हैं, वही होगा। हम दिखाएंगे कि यह कैसे किया जाता है। भाजपा और शिंदे सेना नहीं चाहती कि मराठी पार्टियां एकजुट हों। अगर आप ठाकरे ‘ब्रांड’ को खत्म करने की कोशिश करेंगे, तो हम भाजपा को खत्म कर देंगे।”
फिल्म ‘प्रहार’ के मशहूर संवाद को दोहराते हुए ठाकरे ने कहा, “फिल्म में नाना पाटेकर की तरह, मैं इन गद्दारों के सामने खड़ा हूं और उनसे कह रहा हूं, आओ, मुझे मार दो।”
ठाकरे ने ‘त्रिशूल’ फिल्म का नाम लिए बिना कहा, “लेकिन अगर आप मुझ पर हमला करने की हिम्मत करते हैं, तो अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म की तरह एम्बुलेंस लेकर आएं, क्योंकि आपका भी यही हश्र होगा।”
शिंदे ने वर्ली में रैली के दौरान पलटवार करते हुए कहा, “सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें करना काफी नहीं है। आपको कलाइयों में ताकत की जरूरत है।”
पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि राज्य में हिंदी को किसी भी कीमत पर थोपने की इजाजत नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि भाजपा निकाय चुनावों की पूर्व संध्या पर मराठी और हिंदी भाषी लोगों के बीच विभाजन पैदा करना चाहती है।
उद्धव ठाकरे ने भरोसा जताया कि उनकी पार्टी मुंबई नगर निकाय पर अपना कब्जा बरकरार रखेगी।
ठाकरे ने दावा किया कि भाजपा के पास अपनी कोई विरासत नहीं है और उसे सरदार वल्लभभाई पटेल की एक विशाल प्रतिमा स्थापित करनी पड़ी, जिन्होंने देश के गृह मंत्री रहते हुए आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था।
भाषा जितेंद्र नेत्रपाल
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