नयी दिल्ली, 20 जून (भाषा) भारत के विदेशी व्यापार पर ईरान-इजराइल संघर्ष के प्रभाव का आकलन करने और संबंधित मुद्दों का समाधान निकालने के मकसद से वाणिज्य मंत्रालय आज पोत परिवहन, निर्यातकों, कंटेनर कंपनियों और अन्य विभागों सहित हितधारकों के साथ बैठक करेगा।
उद्योग जगत के एक अधिकारी ने बताया कि बैठक की अध्यक्षता वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल करेंगे।
अधिकारी ने बताया, ‘‘ बैठक आज है। हम मालभाड़े से जुड़े मुद्दे उठाएंगे।’’
बर्थवाल ने पहले कहा था कि भारत, स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है।
निर्यातकों ने कहा कि अगर युद्ध और बढ़ता है तो इससे विश्व व्यापार पर असर पड़ेगा और हवाई तथा समुद्री माल ढुलाई की दरें बढ़ जाएंगी। उन्होंने आशंका जताई है कि इस संघर्ष से होर्मुज जलडमरूमध्य और लाल सागर से व्यापारी जहाजों की आवाजाही प्रभावित हो सकती है।
भारत का लगभग दो-तिहाई कच्चा तेल और आधा तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) आयात होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर आता है, जिसे अब ईरान ने बंद करने की धमकी दी है।
यह संकरा जलमार्ग, जो अपने सबसे संकरे स्थान पर केवल 21 मील चौड़ा है, और वैश्विक तेल व्यापार का लगभग पांचवां हिस्सा संभालता है। भारत के लिए अपरिहार्य है, जो अपनी 80 प्रतिशत से अधिक ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए आयात पर निर्भर करता है।
इस बीच, यमन में हूतियों पर 14-15 जून को इजराइल के हमले से लाल सागर क्षेत्र में भी तनाव बढ़ गया है। लाल सागर क्षेत्र पर हूती विद्रोही पहले ही वाणिज्यिक जहाजों पर हमला कर चुके हैं।
भारत का इजराइल को निर्यात 2023-24 में 4.5 अरब अमेरिकी डॉलर से घटकर 2024-25 में 2.1 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया। पिछले वित्त वर्ष में इजराइल से आयात 2023-24 में 2.0 अरब डॉलर से घटकर 1.6 अरब डॉलर रह गया।
इसी तरह, ईरान को निर्यात भी प्रभावित हो सकता है। ईरान को निर्यात 2024-25 और 2023-24 में लगभग 1.4 अरब डॉलर पर स्थिर रहा था।
वित्त वर्ष 2024-25 में ईरान से भारत का आयात 44.1 करोड़ डॉलर था, जबकि पिछले वर्ष यह 62.5 करोड़ डॉलर रहा। यह संघर्ष उस दबाव को और बढ़ाता है जो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा उच्च शुल्क की घोषणा के बाद विश्व व्यापार पर पड़ा था।
भाषा निहारिका मनीषा
मनीषा