(गोपावझाला दिवाकर)
हैदराबाद, 20 जून (भाषा) पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने 1975 में कांग्रेस सरकार द्वारा आपातकाल लगाए जाने को ‘कठोर कदम’ करार देते हुए कहा कि पार्टी को उस अवधि के दौरान नागरिक स्वतंत्रता में कटौती के लिए लोगों से माफी मांगनी चाहिए।
वेंकैया नायडू ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा कि तत्कालीन सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए उन्हें लगभग डेढ़ साल जेल में बिताने पड़े थे।
नायडू आपातकाल के दौरान विशाखापत्तनम में आंध्र विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई कर रहे थे और छात्र संघ के नेता थे।
उन्होंने कहा, ‘‘यह एक कठोर कदम था। उन्हें (कांग्रेस को) इसके लिए माफी मांगनी चाहिए थी। उन्हें इसका पछतावा होना चाहिए था। लेकिन कांग्रेस ने कभी पश्चाताप नहीं किया या लोगों से माफी नहीं मांगी। जबकि उन्हें आपातकाल लागू करने का पछतावा होना चाहिए था। अब, आपातकाल के 50वें वर्ष के अवसर पर, उन्हें सार्वजनिक रूप से खेद व्यक्त करना चाहिए।’’
वेंकैया नायडू ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि उन्हें आपातकाल लगाने, नागरिक स्वतंत्रता पर लगाम लगाने और प्रेस सेंसरशिप लगाने के लिए लोगों से माफी मांगनी चाहिए। सभी नागरिक स्वतंत्रताएं छीन ली गईं थीं। विरोध करने का अधिकार भी छीन लिया गया था।’’
पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा कि आपातकाल के दौरान, हर समाचार पत्र पर सेंसरशिप लगा दी गई थी और प्रेस परिषद अधिनियम में भी संशोधन किया गया था।
नायडू ने अपनी यादों को ताजा करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष की हैसियत से उन्होंने जयप्रकाश नारायण को छात्रों को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया था, जिसके लिए उन्हें मीसा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था।
नायडू ने कहा कि उन्हें आरएसएस के सूत्रों से संदेश मिला कि आपातकाल लागू होने के कारण उन्हें गिरफ्तार किए जाने की संभावना है, जिसके कारण उन्हें विशाखापत्तनम छोड़ना पड़ा और वह करीब ढाई महीने तक भूमिगत रहे, वेश बदलकर अलग-अलग जगहों पर जाते रहे। सितंबर 1975 में विजयवाड़ा से गुंटूर जाते समय उन्हें आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया और विशाखापत्तनम की सेंट्रल जेल और बाद में हैदराबाद भेज दिया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह मैं लगभग 17 महीने और 25 दिन जेल में रहा। मैं भाग्यशाली था कि मैं जेल में बंद महत्वपूर्ण नेताओं, स्वतंत्रता सेनानियों और विभिन्न विचारधाराओं से जुड़े लोगों से मिल सका। जेल में उनके साथ राजनीतिक बंदियों जैसा व्यवहार किया जाता था।’’
उनके अनुसार, उत्तर भारत में आपातकाल के तहत कठोर कदम उठाए गए थे, जबकि आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में इसका क्रियान्वयन उतना सख्त नहीं था क्योंकि तत्कालीन मुख्यमंत्रियों क्रमश: वेंगला राव (कांग्रेस) और करुणानिधि (द्रमुक) ने इसे सख्ती से लागू नहीं किया।
वेंकैया नायडू ने कहा कि उन्होंने अपने दोस्त के साथ मिलकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी की सार्वजनिक सभा को बाधित करने की योजना बनाई थी, जिसके लिए जमीन पर विषहीन सांप छोड़े गए थे और रैली में अफरा-तफरी की स्थिति पैदा हो गई थी।
आपातकाल के बाद, उन्होंने आंध्र प्रदेश के ओंगोल से जनता पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हालांकि 1977 में पार्टी सत्ता में आ गई।
आपातकाल लागू होने की 50वीं बरसी के अवसर पर, संस्कृति मंत्रालय ने 25 जून से एक साल तक कार्यक्रमों की योजना बनाई है और इसकी रूपरेखा विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा की है।
गत 14 जून को लिखे एक पत्र में, मंत्रालय ने कहा कि 25 जून, 1975 को आपातकाल लागू करना ‘‘भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले दौर की याद दिलाता है।’’
भाषा वैभव मनीषा
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