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Friday, June 20, 2025

तेहरान के गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब के सरूपों की सुरक्षा को लेकर नापा की अपील, SGPC से त्वरित कार्रवाई की मांग

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चंडीगढ़, 20 जून (भाषा) उत्तर अमेरिकी पंजाबी संघ (नापा) ने शुक्रवार को शिरोमणि गुरद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) से युद्ध प्रभावित ईरान के तेहरान में एक गुरुद्वारे में रखे गए गुरु ग्रंथ साहिब के ‘सरूपों’ की हिफाजत करने की अपील की।

​​संघ के कार्यकारी निदेशक सतनाम सिंह चहल ने एसजीपीसी से तत्काल एक चार्टर्ड विमान की व्यवस्था करने और ‘सरूपों’ (गुरु ग्रंथ साहिब की भौतिक प्रति) को पूरे सम्मान के साथ वापस लाने के लिए पांच समर्पित सिखों को भेजने का आग्रह किया।

उन्होंने भाई गंगा सिंह सभा गुरद्वारा से ‘सरूपों’ को वापस लेने का अनुरोध किया जो ईरान की राजधानी तेहरान के बाहरी क्षेत्र में स्थित है।

इस बीच एसजीपीसी के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने शुक्रवार को कहा कि समिति ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि ईरान और इजराइल में बढ़ते संघर्ष के मद्देनजर दोनों देशों में गुरद्वारों और ‘सरूपों’ की सुरक्षा के लिए तत्काल उचित कदम उठाए जाएं।

एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने बृहस्पतिवार को कहा था कि गुरु ग्रंथ साहिब के प्रति सिख समुदाय की अपार श्रद्धा है, और इसका सम्मान और संरक्षण सुनिश्चित करना समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि भारत सरकार को ईरान और इजराइल की सरकारों के साथ संपर्क के लिए अपने राजनयिक संबंधों और अंतरराष्ट्रीय मंचों का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि गुरद्वारों और गुरु ग्रंथ साहिब के ‘सरूपों’ को कोई नुकसान नहीं पहुंचे।

चहल ने कहा कि एसजीपीसी प्रमुख ने अपील तो की है लेकिन उसके पास इस मामले में स्वतंत्र रूप से कार्य करने के लिए संसाधन हैं और यह उसकी नैतिक जिम्मेदारी है।

चहल ने कहा, ‘‘यह समय केवल केंद्र सरकार से अपील पर निर्भर रहने का नहीं है। समय बहुत महत्वपूर्ण है, और किसी भी देरी से अपूरणीय परिणाम हो सकते हैं। हम नौकरशाही की प्रक्रियाओं का इंतजार नहीं कर सकते। गुरु ग्रंथ साहिब जी के सरूपों की सुरक्षा और पवित्रता हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।’’

इस मामले पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत पर प्रकाश डालते हुए चहल ने चेतावनी दी कि केंद्र सरकार के निर्णय पर निर्भर रहने से खतरनाक देरी हो सकती है।

उन्होंने कहा, ‘‘एसजीपीसी के पास इस धार्मिक मामले में स्वतंत्र रूप से कार्य करने के लिए संसाधन हैं और यह उसकी नैतिक जिम्मेदारी है।’’

भाषा वैभव माधव

माधव

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