कोलकाता, 20 जून (भाषा) पश्चिम बंगाल विधानसभा में शुक्रवार को नेताजी सुभाष खेल एवं उद्यमिता विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 पर आधे घंटे तक चली हंगामेदार बहस के बाद भाजपा के विधायकों ने सदन से बहिर्गमन किया।
हंगामा तब शुरू हुआ, जब शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु द्वारा विधेयक पेश किये जाने के तुरंत बाद भाजपा के मुख्य सचेतक शंकर घोष उसपर बोलने के लिए खड़े हुए।
मंत्री बाबुल सुप्रियो ने घोष को टोकते हुए सवाल किया कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के विधायकों को उनकी बात क्यों सुननी चाहिए, जब वह और भाजपा के अन्य विधायक पिछले दिन प्रश्नकाल के समय मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य के जवाब के दौरान सदन से चले गए थे।
सुप्रियो का समर्थन करते हुए 100 से ज़्यादा तृणमूल विधायक अपनी जगह पर खड़े हो गए, जबकि विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने घोष को अपना भाषण जारी रखने की अनुमति दी।
बनर्जी ने कहा, ‘‘कल मुझे आपके और दूसरे भाजपा विधायकों के बयान हटाने पड़े, क्योंकि मंत्री के जवाब देने के दौरान आप चले गए थे। यह सदन का अपमान था। लेकिन मैं चाहता हूं कि सदन चले, इसलिए मैं चाहूंगा कि आप बोलें।’’
हालांकि, मुख्य सचेतक निर्मल घोष, मंत्री अरूप विश्वास, चंद्रिमा भट्टाचार्य और सुप्रियो समेत कई तृणमूल नेताओं ने घोष एवं अन्य भाजपा नेताओं के आचरण का विरोध जारी रखा।
यद्यपि, विधानसभा अध्यक्ष ने उत्तेजित तृणमूल सदस्यों को शांत करने की कोशिश की, लेकिन हंगामा जारी रहा और करीब 20 भाजपा विधायक सदन से उठकर चले गए।
घोष ने विधानसभा परिसर में संवाददाताओं से कहा कि विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है, जो सत्तारूढ़ दल की असहिष्णुता को दर्शाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा नाम चर्चा के लिए वक्ता के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। मैं अपने विचार व्यक्त करना चाहता था। लेकिन सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस लोकतंत्र को सही ढंग से काम करने देना नहीं चाहती। उन्होंने विपक्ष को बोलने नहीं दिया और विधानसभा अध्यक्ष ने कोई कार्रवाई नहीं की।’’
भाषा राजकुमार दिलीप
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