हमीरपुर (हिप्र), 20 जून (भाषा) बौद्धभिक्षु जामयांग ने कहा है कि भारत एक ऐसा देश है, जो सभी धर्मों का सम्मान करता है तथा विविधता में एकता की यह भावना ही इस राष्ट्र को मजबूत और विशेष बनाती है।
धर्मशाला के टोंगलेन चैरिटेबल ट्रस्ट के निदेशक जामयांग ने कहा कि भारत में सभी धर्मों के लोगों को स्वीकार किया जाता है और वे अपने धर्म का पालन करने के लिए स्वतंत्र हैं।
जामयांग ने हमीरपुर जिले के टिप्पर गांव में कल रात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 21-दिवसीय कार्यकर्ता विकास वर्ग प्रथम शिविर के समापन समारोह में कहा कि यही कारण है कि तिब्बती इस भूमि पर अपने धर्म और संस्कृति को सुरक्षित रख पाये हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं आपके- भारत के सशक्त और अनुशासित युवा के- सामने खड़ा हूं तो मुझे आशा और गर्व महसूस हो रहा है। मेरा मानना है कि भारत का भविष्य आपके हाथों में सुरक्षित है। देश के प्रति आपका समर्पण, अनुशासन और प्यार भारत को और भी ऊंचाइयों पर ले जाएगा।’’
तिब्बती भिक्षु ने स्वास्थ्य, शिक्षा में सुधार, लोगों को एक साथ लाते हुए और भारत की समृद्ध संस्कृति को सहेजकर रखते हुए राष्ट्र की सेवा के 100 साल पूरे करने पर आरएसएस को बधाई दी।
उन्होंने कहा, ‘‘आरएसएस युवाओं को अनुशासित, दयालु और अपने देश से प्रेम करना सिखाता है। आपका कार्य दिखाता है कि अच्छे मूल्यों वाले सरल लोग समाज में कितना बड़ा बदलाव ला सकते हैं।’’
जामयांग ने तिब्बतियों को इस महान देश में रहने और काम करने का अधिकार देने के लिए सरकार, यहां के लोगों और स्थानीय अधिकारियों के प्रति आभार भी व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि जब हम 1959 में मुश्किल समय में भारत आए थे, तब भारत ने तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा का प्यार और सम्मान के साथ स्वागत किया था।
उन्होंने कहा कि न केवल उन्हें, बल्कि सभी तिब्बतियों को दया, सुरक्षा और रहने के लिए जगह दी गई थी।
इस बीच, आरएसएस के अखिल भारतीय सह-प्रचार प्रमुख प्रदीप जोशी ने इस अवसर पर उपस्थित स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत अब जाग चुका है और अब उसके पास अपने दुश्मनों पर निर्णायक प्रहार करके उन्हें कमजोर करने का अदम्य साहस और अधिकार है।
उनका इशारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की ओर था।
भाषा
राजकुमार सुरेश
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