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Friday, June 20, 2025

जगन ने वाईएसआरसीपी समर्थक की ओर से लहराए ‘भड़काऊ पोस्टर’ का बचाव किया

Newsजगन ने वाईएसआरसीपी समर्थक की ओर से लहराए ‘भड़काऊ पोस्टर’ का बचाव किया

अमरावती, 20 जून (भाषा) युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के अध्यक्ष वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने पलनाडु जिले के अपने हालिया दौरे के दौरान एक समर्थक द्वारा लहराए गए ‘भड़काऊ पोस्टर’ का बचाव किया, जिसमें कथित तौर पर विरोधियों को काटने का संकेत दिया गया था।

पोस्टर में मंदिर मेले के दौरान विरोधियों की फिल्म ‘पुष्पा’ की शैली में हत्या का संकेत दिया गया था।

रेड्डी ने बुधवार को पलनाडु जिले के रेंटापल्ला गांव में वाईएसआरसीपी के उस दिवंगत नेता के परिवार से मुलाकात की, जिन्होंने एक साल पहले तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के सत्ता में आने के बाद पुलिस और तेदेपा नेताओं के कथित उत्पीड़न के कारण आत्महत्या कर ली थी।

वाईएसआरसीपी के कथित समर्थक द्वारा भड़काऊ पोस्टर लहराने की तस्वीर वायरल हो गई है।

पूर्व मुख्यमंत्री के संज्ञान में यह पोस्टर तब लाया गया जब वह बृहस्पतिवार को तडेपल्ली में वाईएसआरसीपी के केंद्रीय कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। रेड्डी को संवाददाताओं ने सवाल के साथ बताया कि पोस्टर लहराने वाला व्यक्ति पूर्व में ‘तेदेपा सदस्य’’ रह चुका है।

जब एक पत्रकार ने पोस्टर लहराने वाले व्यक्ति की तेदेपा नेताओं के साथ की तस्वीर साझा की, तो रेड्डी ने कहा, ‘‘हमें खुश होना चाहिए कि वह बदल गया है।’’

उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘हमें खुश होना चाहिए कि वह बदल गए हैं। तेदेपा के ऐसे समर्थक भी चंद्रबाबू नायडू से नाराज होने के कारण बदल गए हैं। वह बदल गए हैं और कह रहे हैं कि वह तेदेपा को काट देंगे। हमें इसके लिए खुश होना चाहिए।’’

वाईएसआरसीपी अध्यक्ष ने कहा कि एक पूर्व तेदेपा समर्थक मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के कथित झूठ और अधूरे चुनावी वादों से इतना परेशान हो गया कि वह सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए हमारी पार्टी का समर्थक बन गया है।

एक समय उन्होंने संदेह किया कि कहीं यह तेदेपा का कोई हथकंडा तो नहीं है।

रेड्डी ने सवाल किया कि क्या पुष्पा सिनेमा के संवादों का इस्तेमाल करना गलत है। हम लोकतंत्र में हैं या नहीं? मैं समझ नहीं पा रहा हूं? अगर पुष्पा सिनेमा के संवाद (तख़्ती पर) लिखे जाते हैं तो इसमें क्या गलत है?’’

भाषा धीरज सुरेश

सुरेश

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