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Saturday, June 21, 2025

विमान हादसा: मदद के लिए पहुंचे भाजपा विधायक, 1988 के हादसे के वक्त की अपनी भूमिका को याद की

Newsविमान हादसा: मदद के लिए पहुंचे भाजपा विधायक, 1988 के हादसे के वक्त की अपनी भूमिका को याद की

अहमदाबाद, 20 जून (भाषा) एअर इंडिया की उड़ान संख्या 171 12 जून को जब यहां से रवाना होने के कुछ ही देर बाद एक मेडिकल कॉलेज परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गई, तब गुजरात के भाजपा विधायक डॉ. हसमुख पटेल ठीक वैसे ही अहमदाबाद सिविल अस्पताल के पोस्टमार्टम केंद्र पहुंचे, जैसा उन्होंने 1998 में मेडिकल छात्र के रूप में इसी तरह की दुर्घटना के बाद किया था।

अमराईवाड़ी के विधायक पटेल घटनास्थल पर पहुंचे, जहां भीषण दुर्घटना के बाद अफरा-तफरी मच गई थी। तब उन्हें बताया गया था कि हादसे में जान गंवाने वालों के शव 500 मीटर दूर अहमदाबाद सिविल अस्पताल पहुंचाये जा रहे हैं।

दुर्घटना स्थल अमराईवाड़ी के नजदीक असरवा विधानसभा क्षेत्र में है।

पटेल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘जब मैं सिविल अस्पताल के पोस्टमार्टम अनुभाग में पहुंचा तो स्थिति बहुत खराब थी। अगले चार से पांच घंटों तक मैंने शव पर टैग लगाने का काम किया, जो आगे की प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण था।’’

उनके अनुसार, अगले दिन जब रिश्तेदार आने लगे तो उन्होंने शव की पहचान करने और डीएनए मिलान के लिए नमूने देने में उनकी मदद की।

पटेल ने 1988 में हुई एक ऐसी ही घटना को याद किया जब मुंबई (तब बंबई) से अहमदाबाद आ रहा इंडियन एयरलाइंस का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, फलस्वरुप 133 लोग मारे गए थे।

तब पटेल बीजेएमसी में द्वितीय वर्ष के छात्र थे, जो 12 जून की दुर्घटना का घटनास्थल था।

सन् 1988 की दुर्घटना के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘शव इतने क्षत-विक्षत हो चुके थे कि उनकी पहचान नहीं हो पा रही थी। हमने शव पर टैग लगाने का काम किया, टक्कर के कारण टुकड़े-टुकड़े हो गये शव के हिस्सों को जोड़ने की कोशिश की और पोस्टमार्टम प्रक्रिया शुरू की तथा रिश्तेदारों को पहचान में मदद की।’’

पटेल ने दोनों घटनाओं को बहुत ही हृदय विदारक बताया। उन्होंने ‘पैथोलॉजी’ में एम.डी. की पढ़ाई कर रखी है।

उन्होंने कई सालों तक निजी प्रैक्टिस की और फिर उन्होंने राजनीति में हाथ आजमाया एवं 2022 में भाजपा उम्मीदवार के तौर पर अमराईवाड़ी विधानसभा सीट जीती।

पटेल ने कहा, ‘‘मैं 1988 में एक छात्र था। अब इस घटना के बाद संकट के समय में दायित्व के मोर्चे पर रहना मेरी नैतिक जिम्मेदारी बन गई है। मेरे कई सहपाठी अब विभिन्न विभागों के प्रमुख हैं।’’

भाषा राजकुमार सुरेश

सुरेश

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