नयी दिल्ली, 20 जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय के बार निकाय एससीबीए और एससीएओआरए ने अपने मुवक्किलों को कानूनी सलाह देने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ताओं अरविंद दातार और प्रताप वेणुगोपाल को ईडी के नोटिस की निंदा करते हुए कहा कि यह “परेशान करने वाली प्रवृत्ति” कानूनी पेशे की बुनियाद पर प्रहार करती है।
धन शोधन निवारण एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हालांकि वरिष्ठ वकील को जारी अपना समन वापस ले लिया।
वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह की अध्यक्षता वाले ‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन’ (एससीबीए) और अधिवक्ता विपिन नायर की अध्यक्षता वाले ‘सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन’ (एससीएओआरए) ने अपने आधिकारिक संचार में समन पर आपत्ति जताई।
एससीबीए सचिव प्रज्ञा बघेल के माध्यम से जारी बयान में कहा गया है, “वरिष्ठ अधिवक्ताओं और एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड को इस तरह के अवैध नोटिस और समन जारी करना परेशान करने वाली प्रवृत्ति को दर्शाता है, जो कानूनी पेशे की नींव पर प्रहार करता है और बार की स्वतंत्रता को कमजोर करता है जो भारत के संवैधानिक लोकतंत्र का एक मुख्य स्तंभ है।”
एससीबीए ने कहा, “स्वतंत्र न्यायपालिका और स्वतंत्र बार लोकतंत्र की रीढ़ हैं और अगर वकीलों या वरिष्ठ वकीलों को इस तरह से निशाना बनाया जाता है तो यह कानूनी पेशे की स्वतंत्रता पर चोट है।”
नायर ने प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर कहा था कि यह “बेहद परेशान करने वाला घटनाक्रम है, जिसका कानूनी पेशे की स्वतंत्रता और वकील-ग्राहक गोपनीयता के मूलभूत सिद्धांत पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।”
यह पत्र ईडी द्वारा वरिष्ठ वकील प्रताप वेणुगोपाल को तलब किए जाने के बाद लिखा गया।
पत्र में बताया गया है, ‘‘वरिष्ठ अधिवक्ता प्रताप वेणुगोपाल को 19 जून को प्रवर्तन निदेशालय ने समन भेजा है। यह समन एक जांच के सिलसिले में है, जो केयर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी द्वारा दी गई कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना (ईएसओपी) से जुड़ी है। इस जांच में उस कानूनी राय का भी जिक्र है जो वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने दी थी। प्रताप वेणुगोपाल उस समय एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड थे और यह राय रेलिगेयर कंपनी की पूर्व अध्यक्ष रश्मि सलूजा को स्टॉक विकल्प देने के समर्थन में थी।’’
एमएलए की धारा 50 “समन, दस्तावेज प्रस्तुत करने और साक्ष्य देने आदि के संबंध में प्राधिकारियों की शक्तियों” से संबंधित है।
पत्र में कहा गया है कि वेणुगोपाल को 24 जून को ईडी के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया गया था।
इसमें कहा गया है, “यह उल्लेख करना आवश्यक होगा कि इसी तरह का नोटिस पहले भी ईडी द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार को जारी किया गया था, हालांकि बाद में इसे वापस ले लिया गया था।”
कानूनी बिरादरी में वेणुगोपाल की गिनती बेहद सम्मानित हस्तियों में होती है। उनकी ईमानदारी और पेशेवर निष्ठा को “बेजोड़” बताया गया है।
पत्र में कहा गया, “हमारा मानना है कि प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई वकील-ग्राहक के पवित्र विशेषाधिकार का अनुचित उल्लंघन है, तथा वकीलों की स्वायत्तता और निर्भीकता से काम करने के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है।”
भाषा प्रशांत अविनाश
अविनाश