नयी दिल्ली, 20 जून (भाषा) हिंदी थोपे जाने के तमिलनाडु सरकार के आरोप का खंडन करते हुए विद्या भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवींद्र कन्हेरे ने शुक्रवार को कहा कि राज्य नयी शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत स्कूलों में पढ़ाने के लिए निर्धारित 22 भारतीय भाषाओं में से किसी भी तीन को चुनने के लिए स्वतंत्र हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि स्कूलों में त्रि-भाषा फार्मूला लागू किया जा सकता है, क्योंकि बच्चे एक समय में एक से अधिक भाषाएं आसानी से सीख सकते हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध विद्या भारती के वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कन्हेरे ने इतिहास की पाठ्यपुस्तकों से ‘भ्रामक तथ्यों’ को हटाने का भी समर्थन किया।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा पिछले वर्ष अपनी पाठ्यपुस्तकों से अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस का संदर्भ हटाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें केवल ऐतिहासिक तथ्य ही लिखने चाहिए। पिछले कुछ वर्षों में हमने पुस्तकों में कुछ न कुछ भ्रामक तथ्य देखे हैं। लेकिन उन्हें हटा दिया गया है। ऐसा करने में कुछ भी गलत नहीं है।’’
एनईपी के तहत निर्धारित त्रिभाषा फार्मूले का समर्थन करते हुए कन्हेरे ने कहा कि विद्या भारती का स्पष्ट मत है कि प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में प्रदान की जानी चाहिए।
तमिलनाडु सरकार के इस आरोप पर कि केंद्र राज्य पर हिंदी थोपने की कोशिश कर रहा है, उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘नयी शिक्षा नीति के तहत किसी भी राज्य पर कोई भाषा नहीं थोपी गई है।’’
उन्होंने कहा कि उन्हें एनईपी के तहत निर्धारित 22 भाषाओं में से कोई तीन चुननी होंगी।
कन्हेरे ने कहा, ‘‘अगर दक्षिण में कोई तमिल सीख रहा है, तो वह मलयालम या कोई अन्य भाषा भी सीख सकता है… सभी भारतीय भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया है और उनसे उनमें से (कोई तीन) चुनने के लिए कहा गया है।’’
उन्होंने कहा कि यदि विद्यालय प्रबंध करते हैं तो विद्यार्थी विदेशी भाषाएं भी सीख सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ यह अंग्रेजी, जापानी, कोरियाई या चीनी भी हो सकती है।’’
कन्हेरे ने कहा कि विद्या भारती ने 1952 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में अपना पहला स्कूल खोला था तथा फिलहाल देश भर के 684 जिलों में 14 सैनिक स्कूलों सहित 12,118 स्कूल चला रही है, जो बच्चों को गुणवत्तापूर्ण और ‘मूल्य-समृद्ध’ शिक्षा प्रदान कर रही है।
भाषा राजकुमार माधव
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