जबलपुर, 20 जून (भाषा) मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने चार वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म के दोषी की मौत की सजा को 25 वर्ष के सश्रम कारावास में बदल दिया।
अदालत ने पाया कि दोषी युवक अशिक्षित है और एक गरीब आदिवासी परिवार से ताल्लुक रखता है।
अदालत ने बृहस्पतिवार को अपने आदेश में दोषी पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति देवनारायण मिश्रा की खंडपीठ ने स्वीकार किया कि अपीलकर्ता (अदालत ने नाम का खुलासा नहीं किया) ने एक ‘क्रूर कृत्य’ किया क्योंकि उसने एक बच्ची से दुष्कर्म किया और उसका गला घोंट कर उसे मरने के लिए छोड़ दिया।
पीठ ने साथ ही यह भी कहा, “दोषी 20 वर्षीय अशिक्षित युवक है व आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखता है और उसके माता-पिता ने कभी उसे शिक्षा देने की कोशिश नहीं की। उसकी ठीक से देखभाल नहीं की गयी इसलिए दोषी ने अपना घर छोड़ दिया और एक ढाबे (रेस्तरां) में रह कर काम कर रहा था।”
पीठ ने कहा कि ढाबे का माहौल अच्छी परवरिश के लिए अनुकूल नहीं हो सकता इसलिए अदालत ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा 6 (गंभीर यौन उत्पीड़न) के तहत दंडनीय अपराध के लिए उसकी मौत की सजा को 25 वर्ष के सश्रम कारावास में बदल दिया।
खंडवा जिले की पॉक्सो अदालत ने 21 अप्रैल, 2023 को दोषी युवक को मौत की सजा सुनाई थी।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, दोषी ने 30-31 अक्टूबर, 2022 की दरमियानी रात बच्ची को उसकी झोपड़ी से अगवा कर उससे दुष्कर्म किया।
अभियोजन पक्ष ने बताया कि बच्ची बेहोशी की हालत में मिली थी।
भाषा जितेंद्र नेत्रपाल शफीक
शफीक