उधमपुर (जम्मू-कश्मीर), 21 जून (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने योग के प्रति सशस्त्र बलों के जवानों के रुझान की सराहना करते हुए शनिवार को कहा कि योगाभ्यास सैनिक को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करता है और इसका लाभ युद्ध के मैदान में देखा जा सकता है
सिंह ने यहां उत्तरी कमान मुख्यालय में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर सामूहिक योगाभ्यास का नेतृत्व किया और 2,500 सैनिकों के साथ विभिन्न आसन किए।
इस कार्यक्रम में थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी और उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा भी शामिल हुए।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के चुनौतीपूर्ण इलाकों में कई अग्रिम स्थानों पर भी योग सत्र आयोजित किए गए जिसमें सैनिकों ने पूरे जोश और उत्साह से भाग लिया।
रक्षा मंत्री ने योग के प्रति सशस्त्र बलों के जवानों के रुझान की सराहना की और कहा कि इसका उनके अनुशासन और एकाग्रता पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने सैनिकों को प्रतिदिन योगाभ्यास जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा, ‘‘योग एक सैनिक को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करता है और इसका लाभ युद्ध के मैदान में देखा जा सकता है।’’
सैनिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने योग को विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया और इस बात पर प्रकाश डाला कि यह अभ्यास स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है।
उन्होंने योग को आज के युग में लोगों के सामने आने वाली समस्याओं जैसे तनाव, चिंता और अवसाद का सार्वभौमिक समाधान बताया।
उन्होंने कहा, ‘‘योग अव्यवस्थित लोगों को स्पष्टता प्रदान करता है। यह एक कला है, एक विज्ञान है, एक दर्शन है और आध्यात्मिकता है। जो लोग अपने दैनिक जीवन में योग का अभ्यास करते हैं, वे अपने शरीर और मन पर नियंत्रण रख पाते हैं। यह हमें प्रतिक्रियाशील नहीं, बल्कि सक्रिय बनाता है।’’
‘ऑपरेशन सिंदूर’ को उस नियंत्रण का एक शानदार उदाहरण बताते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने अभियान के दौरान संयम, संतुलन और सटीकता का प्रदर्शन किया, जो योग के अभ्यास से प्राप्त उनकी आंतरिक शक्ति का प्रतिबिंब है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रहा है तो इस अभ्यास का सही अर्थ याद रखा जाना चाहिए, जो समाज के हर वर्ग को भारत की संस्कृति और आत्मा से जोड़ना है। अगर एक भी वर्ग पीछे छूट गया तो एकता और सुरक्षा का चक्र टूट जाएगा। इसलिए आज हमें सिर्फ शरीर के स्तर पर नहीं बल्कि समाज और विचार के स्तर पर योग करना चाहिए।’’
भाषा शोभना प्रशांत
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